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जबलपुर

मजदूरों के लिए लुटेरा भी बन गया कोरोना

जबलपुर में उद्योग बंद होने से घर में बैठे 58 हजार से ज्यादा श्रमिक
 

जबलपुरMar 27, 2020 / 06:38 pm

shyam bihari

corona

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जबलपुर। कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए सरकार ने सभी शासकीय और अशासकीय उद्योगों को बंद करवा दिया है। ऐसे उद्योग ही चल रहे हैं जिनमें अत्यावश्यक वस्तुओं का उत्पादन किया जा रहा है। जबलपुर जिले में सेना के लिए रक्षा उत्पादों को तैयार करने वाली चार आयुध निर्माणियां बंद हैं। इसी प्रकार चार हजार 3 सौ से अधिक सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों में काम लगभग बंद है। इनमें रोजाना करीब 45 करोड़ रुपए की वस्तुओं का उत्पादन होता है। करीब 58 हजार श्रमिक एवं कर्मचारी घर बैठे हैं। यहां के मजूदरों की नजर मेें कोरोना काम का लुटेरा भी बन कर आया है।

जबलपुर जिले में चार बड़े औद्योगिक क्षेत्र हैं। इनमें अधारताल, रिछाई, उमरिया-डुंगरिया और हरगढ़ औद्योगिक क्षेत्र शामिल है। मनेरी भले ही मंडला जिले में आता है लेकिन वह भी जबलपुर के नजदीक है। उद्योग विभाग के आंकड़ों के अनुसार जिले में करीब 4 हजार 80 सूक्ष्म उद्योग, 280 के करीब लघु उद्योग हैं। मध्यम उद्योगों की संख्या 10 से ज्यादा है। इन उद्योगों में 14 हजार 8 सौ से ज्यादा श्रमिकों को रोजगार मिला हुआ है। इसी प्रकार वृहद उद्योगों की संख्या भी 18 से अधिक है। इनमें करीब 20 हजार कर्मचारी और स्टाफ कार्य करता है। जो माल जहां, वही रखा रह गया है। जो रॉ मटैरियल है वह भी नष्ट होने की आशंका है। ऐसे में उद्योगपति एवं शासकीय संस्थानों के नियोक्ता इसकी भरपाई के लिए रणनीति बनाने लगे हैं।

जिले की स्थिति
औद्योगिक क्षेत्र–उद्योग–कर्मचारी
रिछाई -266 – 3200
अधारताल -160 -1900
हरगढ़ -08 -425
उमरिया-डुंगरिया 30 -480
मनेरी 85 -2200

उद्योगों के प्रकार-रोजगार
सूक्ष्म–4080- 40,700
लघु–280 -2,800
मध्यम–15 -300
(इसमें जिले के निजी क्षेत्र के लगभग सभी उद्योग शामिल हैं)

ऑर्डनेंस फैक्ट्री–कर्मचारी
ओएफके– 6,000
वीएफजे–3,200
जीसीएफ–3,000
जीआईएफ–700

महाकोशल चेम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष रवि गुप्ता ने बताया कि कोरोना वायरस के संक्रमण से निपटने में उद्योगपति भी सहभागी हैं। निश्चित रूप से उद्योगों के बंद होने से नुकसान होगा। इसकी भरपाई भी मुश्किल होगी। ऐसे में शासन हमारी मदद कर सकता है। जबलपुर चेम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के चेयरमैन प्रेम दुबे का कहना है कि जबलपुर में ज्यादातर छोटी इंडस्ट्री हैं। इनके कारोबार पर लंबे समय तक असर रहेगा। श्रमिकों को रोजगार से वंचित होना पड़ रहा है। नियोक्ताओं की पंूजी फंसी हुई है। यह ऐसा समय है जब सभी को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी।

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