54 वर्ष के एक इंजीनियर शनिवार को साइट से लौटने के बाद घर में अचानक चक्कर खाकर गिर पड़े, अस्पताल ले जाने पर पता लगा कि उन्हें ब्रेन स्ट्रोक हो गया है। दिमाग में क्लाटिंग हो गई है और बांया हाथ व पैर काम नहीं कर रहा है। इसी तरह से एक 40 वर्षीय युवक को दो दिन पहले चलते हुए गिर पड़ा। परिजन मेडिकल के सुपरस्पेश्यिलिटी अस्पताल लेकर पहुंचे तो पता लगा की ब्रेन स्ट्रोक हुआ है। मरीज को स्ट्रोक के 4 घंटे के अंदर ही अस्पताल पहुंच गया था। ऐसे में सुपरस्पेश्यिलिटी अस्पताल के न्यूरोलॉजी सर्जन ने मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टमी तकनीक से ब्रेन से खून के थक्के को निकाल दिया था। ये थक्का निकलते ही युवक की जुबान काम करने लगी, हाथ-पैर फिर से काम करने लगे। कम आयु वर्ग के लोगों में भी ब्रेन स्ट्रोक की समस्या हो रही है।
8-9 मरीज हर रोज आ रहे हैं सुपरस्पेश्यिलिटी अस्पताल में।
2-3 मरीज कम उम्र के।
4 से 24 घंटे गोल्डन ऑवर इलाज के लिए।
2-3 मरीज पहुंच पा रहे हैं गोल्डन ऑवर में।
ज्यादातर मरीजों के देर से अस्पताल पहुंचने के कारण जूझना पड़ रहा है लकवे से।
- डॉ. निष्ठा यादव, न्यूरोलॉजी सर्जन, सुपरस्पेश्यिलिटी अस्पताल