भारत-पाकिस्तान के बीच 58 साल पहले हुए युद्ध में भारतीय सैनिकों के हौंसलों आगे पाकिस्तानी सैनिकों ने घुटने टेक दिए थे। उस समय 4 ग्रेनेडियर्स के कंपनी क्वार्टर मास्टर हवलदार (सीक्यूएमएच) अब्दुल हामिद ने खेम करण सेक्टर में जबलपुर की गन कैरिज फैक्ट्री में बनी 106 मिमी आईसीएल गन का उपयोग किया था। यह गन इसी जीप पर तैनात की गई थी। परमवीर चक्र विजेता अब्दुल हमीद सीना तानकर युद्ध के मैदान में इसी जीप पर सवार होकर पाकिस्तानी टैंक के सामने खडे़ हो गए थे। ज्ञात हो कि अमेरिका की तरफ से पाकिस्तान को दिए गए यह टैंक उस दौरा के सर्वश्रेष्ठ टैंक में शामिल थे। उन्होंने गोला दागते हुए एक के बाद एक चार टैंकों नेस्तनाबूत कर दिया।
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टैंक उड़ाने के बाद जीप पर दागे थे गोले
परमवीर चक्र अब्दुल हमीद ने चार टैंक को उड़ा दिया था। इसके बाद इस टैंक के दो गोले उनके ऊपर छोडे़ गए। पाकिस्तानी सैनिकों ने एक गोला उनकी जीप के टायर पर दागा। दूसरा उनके ऊपर, इसके बाद वे वीरगति को प्राप्त गए। इस ग्रेनेड ने कुल 10 टैंक को उड़ा दिया था। जब हमीद की जीप पर गोला दागा गया तो उसे भारी क्षति हुई। सैनिक इस जीप को उठाकर यहां ले आए। फिर जीआरसी में इस जीप को उनकी गन के साथ स्थापित कर दिया गया था। कुछ समय पहले जब जीआरसी के कमांडेंट वीएफजे के दौरे पर आए थे, तब उन्होंने जीप को री स्टोर करने में सहयोग की बात कही थी।
15 दिनों में रीस्टोरेशन, एक बार में स्टार्ट
इस जीप को री स्टोर करने में वीएफजे ने गौरव महसूस करते हुए इस काम को 15 दिनों में पूरा कर लिया। वीएफजे के विशेषज्ञ कर्मचारियों ने इसके इंजन की रिपेयरिंग की। गियर में सुधार किया। जो पार्ट खराब हो गए थे, उन्हें बदलकर नए लगाए गए। इस मौके पर कहा गया कि वाहन की बहाली से इसको नई पीढ़ी के सामने प्रदर्शित करने में मदद मिलेगी तथा रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के महत्व का एहसास भी कराया जा सकेगा।
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जबलपुर में ही हुआ था दोनों का निर्माण
यह जीप असल उत्तर की लड़ाई का हिस्सा थी, जिसमें भारतीय सेना ने हैवी व्हीकल फैक्टरी, आवडी जो कि अब बख्तरबंद वाहन निगम लिमिटेड (एवीएनएल) का हिस्सा है, की ओर से निर्मित टैंकों का इस्तेमाल किया था। इसके अलावा जीप और आईसीएल गन जिसका उपयोग सीक्यूएमएच अब्दुल हामिद ने किया था, उसका निर्माण भी जबलपुर की गन कैरिज फैक्टरी ने किया था। वीएफजे के सहायक जनसंपर्क अधिकारी शैलेंद्र ने बताया कि इस जीप को एक भव्य समारोह में सौंपा गया। इस मौके पर वीएफजे के सुरक्षा अधिकारी कर्नल रूपिंदर सिंह, जीआरसी के सैन्य अधिकारी और भूतपूर्व सैनिक मौजूद रहे।
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