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जबलपुर

आठ साल पहले सरकार ने किया नियमितीकरण से इनकार, अब नहीं दे सकते चुनौती

हाईकोर्ट ने कहा, दैनिक वेतनभोगी कर्मी की याचिका निरस्त

जबलपुरSep 02, 2019 / 11:59 pm

prashant gadgil

High Court Order

हाईकोर्ट ऑर्डर

जबलपुर। मप्र हाईकोर्ट ने सरकारी सेवा से जुड़े दो मामलों में सुनवाई की। पहले फैसले में हाईकोर्ट ने कहा कि आठ साल पहले सरकार याचिकाकर्ता के नियमितीकरण के सम्बंध में निर्णय ले चुकी है। अभी भी याचिकाकर्ता ने नियमित न किए जाने को चुनौती दी है, उस आदेश को नहीं। जस्टिस अतुल श्रीधरन की सिंगल बेंच ने कहा कि अब आठ साल बाद उक्त आदेश को चुनौती नहीं दी जा सकती। यह कहते हुए कोर्ट ने कटनी के दैनिक वेतनभोगी कर्मी की याचिका खारिज कर दी। कटनी जिले के निवासी श्रीपाल सिंह गोंड ने याचिका दायर कर कहा कि वह राजस्व विभाग में दैनिक वेतनभोगी कर्मी है। 1985 में वह भर्ती हुआ। 2004 में उसे बर्खास्त कर दिया गया, तो उसने हाईकोर्ट की शरण ली। हाईकोर्ट ने नौ फरवरी 2004को उसके पक्ष में आदेश देकर उसे पूर्ण बैकवेजेस के साथ बहाल करने को कहा। 2007 में उसने फिर याचिका दायर कर कहा कि उसका नियमितीकरण नहीं किया जा रहा। छह मई 2011 को हाईकोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए कि याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन का16 मई 2007 की पॉलिसी के तारतम्य में निराकरण किया जाए। लेकिन, याचिकाकर्ता का अभ्यावेदन निरस्त कर दिया गया। इसके बाद छह अगस्त 2019 को यह याचिका दायर की गई। शासकीय अधिवक्ता ईशान मेहता ने आठ साल बाद आदेश के खिलाफ याचिका दायर करने पर आपत्ति जताई।
हाईकोर्ट के निर्देश पर भी ग्रेच्युटी का भुगतान नहीं
दूसरे मामले में मप्र हाईकोर्ट के निर्देश पर भी जिला सहकारी कृषि व ग्रामीण विकास बैंक शहडोल ने अपने एक पूर्व कर्मी को ग्रेच्युटी व अन्य लाभों का भुगतान नहीं किया। रिटायर कर्मी को कहा गया कि भुगतान करने के लिए बैंक के पास पैसा नहीं है। जस्टिस नंदिता दुबे की सिंगल बेंच ने राज्य सरकार सहित अन्य को नोटिस जारी कर इस संबंध में स्पष्टीकरण मांग लिया। सभी अनावेदकों से चार सप्ताह में जवाब मांगा गया।
शहडोल जिले के सोहागपुर निवासी जिला सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक के पूर्व प्रबंधक गिरधारी लाल ने याचिका दायर कर कहा कि वे 2016 में रिटायर हुए। लेकिन उन्हें अब तक ग्रेच्युटी, बकाया वेतन व अन्य लाभ सहित कुल मिलाकर4 लाख 71 हजार 462 रुपए का भुगतान नहीं किया गया। अधिवक्ता सीएम तिवारी ने तर्क दिया कि 7 जनवरी 2019 को हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता की पूर्व याचिका का निराकरण किया। कोर्ट ने निर्देश दिए कि याचिकाकर्ता के इस संबंध में दायर अभ्यावेदन का विधि अनुसार गुणदोष के आधार पर निराकरण किया जाए। लेकिन २६ मार्च २०१९ को परिसमापक जिला सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक शहडोल ने उन्हें पत्र भेजकर कहा कि बैंक के पास यह भुगतान करने के लिए पैसा नहीं है। इस पत्र को अनुचित व अवैधानिक बताते हुए उन्होंने तत्काल भुगतान के निर्देश देने का आग्रह किया। प्रारंभिक सुनवाई के बाद कोर्ट ने अनावेदकों को नोटिस जारी करने के निर्देश दिए।

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