यहां पर सीएम शिवराज सिंह चौहान जिन उर्मिला माता की बात कर रहे हैं वह जबलपुर निवासी 81 साल की उर्मिला चतुर्वेदी है। साल 1992 में अयोध्या विवाद को लेकर जब खून-खराबा हुआ था, तब मध्यप्रदेश के जबलपुर की रहने वाली उर्मिला चतुर्वेदी बहुत विचलित हुई थीं।
इन्होंने 28 साल पहले विवादित ढांचा गिरने पर संकल्प लिया था कि जब तक राम मंदिर का निर्माण शुरू नहीं होगा वो अन्न ग्रहण नहीं करेंगी। वह सिर्फ फल और दूध पर रहती थीं। उर्मिला चतुर्वेदी अपने परिवार के साथ जबलपुर के विजय नगर इलाके में रहती हैं।
फैसला आने पर भी नहीं खाया खाना
बीते साल राम मंदिर पर फैसला आने के बाद भी उनके घर वालों ने उन्हें बहुत समझाया लेकिन वह अपने फैसले पर अडिग रहीं। उनका कहना है कि मैं अन्न तो अयोध्या में ही ग्रहण करूंगी। उर्मिला चतुर्वेदी ने कहा कि अयोध्या में भगवान राम के दर्शन के बाद ही अपना उपवास तोड़ूंगी। वह अभी तक सुबह में चाय, सीजनल फल, दूध और मठा के सहारे रह रही हैं। उनका कहना है कि मुझे इस संकल्प को पूरा करने के लिए भगवान से उर्जा मिलती है। मैं जहां भी रहती हूं, मेरे अंदर राम का उच्चारण होते रहता है।