अब निरंजनी अखाड़े के सचिव व अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्रपुरी ने कहा, अविमुक्तेश्वरानंद को ज्योतिषपीठ का शंकराचार्य घोषित करना नियम विरुद्ध है। शंकराचार्य की नियुक्ति की एक प्रक्रिया होती है। इस मामले में उसका पालन नहीं किया गया।
महंत रविंद्रपुरी ने कहा, शंकराचार्य की षोडशी होने से पहले सनातन धर्म के इस सर्वोच्च पद पर की गई नियुक्ति अनाधिकार उठाया गया कदम है। संन्यासी अखाड़ों की उपस्थिति में ही शंकराचार्य की घोषणा होती रही है। इस तरह जल्दबाजी में शंकराचार्य के पद पर नियुक्ति सनातन धर्म के लिए नुकसानदायक है।
इससे पहले द्वारका एवं शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का 11 सितंबर 2022 रविवार को निधन हो गया था। वे 99 साल के थे, उन्होंने मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर में आखिरी सांस ली. स्वरूपानंद सरस्वती को हिंदुओं का सबसे बड़ा धर्मगुरु माना जाता था। इससे कुछ दिन पहले ही स्वरूपानंद सरस्वती ने अपना 99वां जन्मदिवस मनाया था, जिसमें मप्र के सीएम शिवराज सिंह चौहान समेत कई बड़े नेताओं ने उनसे मुलाकात की थी।
शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का गंगा आश्रम नरसिंहपुर जिले के झोतेश्वर में हैं। उन्होंने रविवार, 11 सितंबर को यहां दोपहर 3.30 बजे ली अंतिम सांस ली। स्वरूपानंद सरस्वती का जन्म एमपी के सिवनी में 2 सितंबर 1924 को हुआ था। वे 1982 में गुजरात में द्वारका शारदा पीठ और बद्रीनाथ में ज्योतिर मठ के शंकराचार्य बने थे।