जबलपुर। कलेक्ट्रेट कार्यालय स्थित नाजिर शाखा के स्टोर रूम में रखी 500 से अधिक बंदूकें जंग लगने से खराब हो गई हैं। किसी का बट खराब है तो किसी की नाल जाम है। इसके बावजूद इनका न तो विनष्टीकरण किया गया न ही नीलामी।
कलेक्टर ने मांगी है रिपोर्ट बताया गया कि अधिकतर हथियार ऐसे हैं, जिन्हें लाइसेंसधारियों ने ही राजसात कराया है। जिला प्रशासन का शस्त्र विभाग बंदूक या पिस्टल के लाइसेंस जारी करता है। हथियारों की वापसी भी यहीं होती है। पिछले तीन दशकों में कई लोगों ने हथियारों को राजसात कराया है। कुछ ऐसे लाइसेंसधारियों ी भी बंदूकें हैं, जिनकी मृत्यु हो चुकी है। कलेक्टर ने हाल ही में कार्यालय निरीक्षण के दौरान पुरानी बंदूकों के सम्बंध में रिपोर्ट मांगी है।
कीमत से ज्यादा लाइसेंस फीसनाजिर शाखा में इतनी अधिक संख्या में बंदूकें जमा होने का कारण लाइसेंस फीस काफी अधिक होना है। भरमार के लिए 15 सौ रुपए चालान फीस और एक हजार रुपए का ई-स्टाम्प लगता है। देरी होने पर पर दो हजार रुपए लेट फीस और इ-स्टाम्प लगाना पड़ता है। यही स्थिति 12 बोर बंदूक के लिए है।
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भरमार की संख्या अधिकनाजिर शाखा में रखी बंदूकों में भरमार की संख्या अधिक है। विभागीय सूत्रों के अनुसार अब नई भरमार बंदूक नहीं मिलती। यदि कोई व्यक्ति पुरानी बंदूक हथियार विक्रता को बेचना चाहे तो 400 से 500 रुपए कीमत मिलती है। 12 बोर बंदूक भी 10 से 15 हजार में मिल रही है।
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