इस तरह फर्जीवाड़ा
जमा होने वाले बिल की राशि लाइनमैन सुखदेव खुद रख लेता था। इसके एवज में एमपी ऑनलाइन और दूसरे भुगतान वाले विकल्पों की फर्जी रसीद बनाकर ईआरपी सिस्टम में चढ़ा देता था। इस तरह पिता-पुत्र ने मिलकर 10 महीने में 40 लाख से अधिक का गबन किया। गनपत की आईडी-पासवर्ड का इस्तेमाल होने से दोनों पर किसी को शक नहीं हो रहा था। सूत्रों के मुताबिक इस गड़बड़झाले में एई सहित दूसरे स्टाफ पर गाज गिर सकती है। दोनों को तत्काल प्रभाव से वहां से अलग कर दिया गया है।
दो दिन पहले लगी भनक
गनपत के आईडी-पासवर्ड का इस्तेमाल किए जाने की गड़बड़ी कार्यपालन अभियंता नरेंद्र मिश्रा ने पकड़ी और अधिकारियों को जानकारी दी।
बिल एडजस्टमेंट फर्जीवाड़े से नहीं ली सबक
40 लाख से अधिक के इस फर्जीवाड़े से कम्पनी के अधिकारियों की भूमिका भी कटघरे में है। 14 जुलाई को सिटी सर्किल के पूर्व सम्भाग में एई की आईडी से बिल एडजस्टमेंट के नाम पर लाखों का फर्जीवाड़े का मामला सामने आ चुका है। तब भी ठेके वाले कम्प्यूटर ऑपरेटर और लाइनमैन की भूमिका सामने आई थी। जांच कमेटी के प्रभारी आरके स्थापक ने कहा कि फर्जी रसीद की मदद से भुगतान दर्शा कर लाखों की चपत लगाने वाले लाइनकर्मी और उसके बेटे के मामले की जांच चल रही है। दो दिन में जांच पूरी कर ली जाएगी।