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जबलपुर

‘जबलपुर मेरा दूसरा घर, भेड़ाघाटा से जुड़ी हैं बचपन की यादें’

पार्श्व गायक अभिजीत भट्टाचार्य ने कहा

जबलपुरOct 14, 2019 / 01:11 am

reetesh pyasi

 Abhijeet Bhattacharya

Abhijeet Bhattacharya

जबलपुर। ‘धुंआधार, भेड़ाघाट से मेरे बचपन की यादें जुड़ी हैं। जबलपुर मेरा दूसरा घर है। यहां मेरे ताऊ व दीदी रहती हैं। मैं नर्मदा महोत्सव में केवल गाने के लिए नहीं बल्कि शरदोत्सव मनाने आया हूं। ‘ ये बात पार्श्व गायक अभिजीत भट्टाचार्य ने रविवार को प्रेस कांफ्रेंस में कहीं। मुझे सिंगर भगवान ने बनाकर भेजा था। रोजी रोटी के लिए मुम्बई गया था। किशोर कुमार के दौर में बड़ा साहस भरा सपना लेकर माया नगरी पहुंचा था। मेरे पास वहां घर नहीं था। बहुत संघर्ष किया, किसी प्रकार 375 रुपए की नौकरी लगी थी। उसमें से भी पैसे कट जाते थे। दफ्तर से दूर रहने के कारण वहां पहुंचने में समय लगता था। कई बार लेट होने के कारण नौकरी भी छूट गई। उन्होंने बताया कि किशोर दा के एक गीत ने मेरे अंदर के कलाकार को जागृत कर दिया।

आज केवल फिल्म इंडस्ट्री
अभिजीत ने कहा एक दौर था जब म्यूजिक इंडस्ट्री का ओहदा फिल्म इंडस्ट्री से ऊंचा था। आज केवल फिल्म इंडस्ट्री ही रह गई है। म्युजिक डायरेक्टर म्युजिक पर काम करने के बजाय ज्यादातर समय सिंगिंग शो में जज बनकर बिताते हैं। नए संगीत का सृजन नहीं हो रहा है। यही वजह है कि फिल्मों में पुराने संगीत को दोहराया जा रहा है। उन्होंने नव संगीत सृजन के लिए म्युजिक डायरेक्टर आदेश श्रीवास्तव के साथ जुड़ी अपनी यादों को साझा किया।

गुमनामी में खो रहे हैं सिंगिंग शो के कलाकार
टेलीविजन के सिंगिंग शो की चकाचौंध बहुत प्रभावित करती है। माता-पिता पहले बच्चों का बचपन छीनकर उन पर सेलेब्रेटी बनने के सपने का बोझ लाद देते हैं। लेकिन, कार्यक्रमों से निकले कलाकारों में से ज्यादातर मायानगरी पहुंचकर गुमनामी के अंधेरे में खो जाते हैं।

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