ये है मामला
एनकेजे में मालगाड़ी के प्रवेश से पहले रेड सिग्नल होने से मालगाड़ी रुकती हैं। गाड़ी के रुकते ही कोयला तस्कर काम शुरू कर देते हैं। कोयला चोरी के सबूतों को मिटाने के लिए ट्रैक के किनारे पॉलीथिन बिछाकर कोयला गिराया जाता है। इसमें 50 से ज्यादा मजदूरों के साथ ही करीब 4 डंपरों का इस्तेमाल किया जाता है। ट्रैक के बाजू में गिराए गए कोयले
को सीधे ट्रकों में भरकर ठिकाने लगाया जाता है।
कंट्रोलर को गार्ड ने दी जानकारी
जानकारी के अनुसार मालगाड़ी के एक गार्ड ने इस संबंध में कंट्रोलर को भी जानकारी दी लेकिन उससे लिखित शिकायत मांगी गई। सूत्रों के अनुसार कोयला तस्कर हथियारों से लैस भी रहता, जिससे आस-पास के क्षेत्रीय लोग और रेलवे कर्मचारी कुछ भी कहने से बच रहे हैं।
शहर सहित बाहर हो रही सप्लाई
मालगाड़ी से चोरी किया गया कोयला शहर सहित सतना, इलाहाबाद व अन्य स्थानों पर सप्लाई किया जा रहा है। रेलवे
रैक से ट्रक लगाकर हो रही कोयला चोरी में कार्रवाई नहीं होने से आरपीएफ से लेकर स्थानीय पुलिस की भूमिका भी सवालों में है।
स्पॉट पर पहुंची पत्रिका की टीम
मामले की जानकारी लगने के बाद पत्रिका की टीम जब स्पॉट पर पहुंची तो घटनास्थल पर बड़ी मात्रा में कोयला बिखरा दिखा। रेलवे पटरी के किनारे जहां मालगाड़ी से कोयला निकाला जाता है, वहां पर गिट्टी में कोयला गिरा मिला। इतना ही नहीं, दूसरी ओर यानी सिंगरौली रेल खंड की ओर कोयले के बड़े टुकड़े भी मिले।