पाठ्यपुस्तक निगम की स्थायी समिति गठित न होने से अटका मामला
जबलपुर•May 10, 2019 / 12:10 am•
prashant gadgil
Career guidance will be given to students in the new teaching session
जबलपुर। इस शिक्षण सत्र में स्कूली बच्चे कुछ महापुरुषों की जीवनगाथा नहीं पढ़ पाएंगे। गत वर्ष राज्य सरकार ने रानी पद्मावती, भगवान परशुराम व संत कंवरराम की जीवनी को शामिल करने की घोषणा की थी। महापुरुषों की जीवनी को पाठ्यक्रम में शामिल करने के लिए अभी तक मप्र पाठ्य पुस्तक की स्थायी समिति का गठन ही नहीं हो पाई है। जबकि दूसरी और 70 फीसदी से अधिक पुस्तकें छपकर स्कूलों में पहुंच भी चुकी हैं। एेसे में नए शिक्षण सत्र में किताबों के पाठयक्रम में बदलाव होने की संभावना नजर नहीं आ रही है। जानकारों के अनुसार पुरानी समिति के पास करीब आठ महापुरुषों की जीवनी को शामिल करने के प्रस्ताव मिले थे, लेकिन प्रस्ताव पारित नहीं हो पाया था।
महापुरुषों को पाठ्यक्रम में शामिल करने के लिए शासन की ओर से जानकारी मांगी गई थी कि पिछले पांच सालों में कितने महापुरुषों-संतों के जीवन परिचय को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है। इस संबंध में जिला शिक्षा अधिकारी एसके नेमा ने कहा कि फिलहाल यह मामला विभागीय स्तर पर लंबित है। किताबें छपकर पहुंचना शुरू हो चुकी हैं। इस सत्र में संभावना कम है।
पिछले वर्ष शंकराचार्य की जीवनी हुई शामिल
विभागी सूत्रों का कहना है कि पिछले सत्र में 11वीं हिन्दी में आदि शंकराचार्य सहित अन्य पांच महापुरुषों की जीवनी और उनकी कविताओं को शामिल किया गया था। प्रदेश भर के स्कूलों के लिए 5 करोड़ 90 लाख किताबें मप्र पाठ्य पुस्तक समिति को छापना है। इसमें 4 करोड़ 80 लाख किताबें छपकर ब्लॉक केंद्रों पर भेज दी गई हैं। जिले में भी करीब १० लाख किताबें भेजी जा रही हैं। स्कूली पाठयक्रम में नया शामिल करने के लिए मप्र पाठय पुस्तक समिति अधिकृत की गई है जो कि अक्टूबर में भंग होने के बाद अब तक गठित नहीं हो सकी है।
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