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जबलपुर

सालभर से बना रहे ट्रैफिक प्लान, शहर हो रहा हलाकान

ट्रैफिक मैनेजमेंट : शहर के प्रमुख चौराहों पर लगे ट्रैफिक सिग्नल की न तो टाइमिंग व्यवस्थित है न ही नए चौराहे का ट्रैफिक

जबलपुरMay 18, 2018 / 01:23 am

sudarshan ahirwa

Traffic plan created for a year, city going to trable

Traffic plan created for a year, city going to trable

जबलपुर. शहर के प्रमुख चौराहों पर लगे ट्रैफिक सिग्नल की न तो टाइमिंग व्यवस्थित है न ही नए चौराहे का ट्रैफिक। एक चौराहे से निकले नहीं कि अगले चौराहे पर सिग्नल ग्रीन होने का इंतजार करना पड़ता है। ट्रैफिक पुलिस ने २० नए चौराहों को सिग्नल लगाने के लिए चिह्नित किया है। अब तक एक कदम भी काम आगे नहीं बढ़ पाया। कई एेसे चौराहों पर सिग्नल लगाएं गए हैं, जो परेशानी बढ़ा रहे हैं। ब्लूम चौक से मालवीय चौक और नौदराब्रिज आदि मार्गों पर हर घंटे आठ से दस हजार वाहन गुजरते हैं। ब्लूम चौक, तीन पत्ती, ट्रैफिक थाना और नौदराब्रिज में टै्रफिक सिग्नल लगे हैं। हर चौराहे पर अटकते हुए निकलना पड़ता है। इसी तरह रानीताल, बल्देवबाग और दमोहनाका को जोडऩे वाली सड़क पर भी सिग्नल की टाइमिंग नहीं मिलायी गई है, जिससे लोगों को हर चौराहे पर अटकना पड़ता है। यहां ट्रैफिक सिग्नल मैनेजमेंट फेल- ट्रैफिक पुलिस ने दशमेश द्वार, रसल चौक, बाबूराव परांजपे और मोटर मित्र तिराहे पर सिग्नल तो लगाए गए हैं। चौराहे और तिराहे की बनावट एेसी है कि आज तक इन सिग्नल को चालू नहीं किया जा सका। जबकि, यहां आए दिन कोई न कोई वाहन टकरा जाते हैं।
दो महीने बाद भी चालू नहीं
शहर की ट्रैफिक को व्यवस्थित करने के लिए गोरखपुर में ११ मार्च को बिल्डिंग का उद्घाटन तो कर दिया, लेकिन अब तक इसे चालू नहीं कर पाए। साल भर पहले बनी शहर के प्रमुख चौराहों पर हाइटेक कैमरे लगाने और ट्रैफिक रूल तोडऩे वालों पर हाइटेक निगरानी का दावा हवा-हवाई साबित हुआ।
१५ बाइक ट्रैफिक पुलिस को मिली
शहर में ट्रैफिक मुवमेंट में लगे टीआई सहित पेट्रोलिंग, एसआई व एएसआई को गुरुवार को १५ दो पहिया वाहन आवंटित किए गए। अभी निजी वाहनों से पेट्रोलिंग या जाम खुलवाने के लिए कर्मियों को जाना पड़ता था। इन वाहनों में सायरन से लेकर कई अत्याधुनिक फीचर जोड़े गए हैं।
शहर में रोज वाहनों का मूवमेंट ६.५० लाख
दो पहिया वाहन-४.२५ लाख
चार पहिया वाहन-१.२० लाख
ऑटो-१८००
यात्री बस-८८०
टैक्सी वाहन-८०००
अन्य-५२,०००

दशमेश द्वार
डेढ़ साल पहले यहां सिग्नल तो लगा दिए, लेकिन चौराहे का स्वरूप और वाहनों की आवाजाही को ध्यान में नहीं रखा। जिसकी वजह से इस सिग्नल को चालू नहीं कर पा रहे।
रसल चौक
भंवरताल, चौथा पुल और रसल चौक को जाने वाले इस तिराहे पर सिग्नल तो लगा दिए, लेकिन इसका पालन आज तक नहीं करा पाए। आलम ये है कि इस तिराहे पर हर तीसरे दिन कोई न कोई वाहन चालक हादसे का शिकार बनता है।

बाबूराव परांजपे तिराहा
मदनमहल, रानीताल और महाराष्ट्र स्कूल मार्ग को जोडऩे वाले इस तिराहे पर बनी रोटरी और मोड़ एेसे हैं कि यहां भी सिग्नल चालू नहीं कर पाए।
तीन पत्ती पुराना बस स्टैंड तिराहा
भंवरताल, एमएलवी व तीन पत्ती से ब्लूम चौक मार्ग को जोडऩे वाले इस तिराहे पर भी सिग्नल लगाए गए। बावजूद इसे व्यवस्थित नहीं कर पाए। यहां भी वाहनों की आवाजाही के चलते अक्सर जाम के हालात बन जाते हैं।
ये था ट्रैफिक पुलिस का दावा
-आरएलवीडी (रेड लाइट वायलेंस डिटेक्टर) और एएनपीआर (ऑटोमैटिक नम्बर प्लेट डिटेक्टर) कैमरे प्रमुख चौराहे पर लगाए जाएंगे।
-डाटा सेंटर में बड़ी-बड़ी एलसीडी स्क्रीन पर इससे वाहनों की निगरानी की जाएगी।
-कैमरों की मदद से हर चौराहें का अपना एक डाटा होगा। अलग-अलग चौराहों पर कहां कितना और कब-कब ट्रैफिक दबाव बढ़ता है।

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