शहर की ट्रैफिक को व्यवस्थित करने के लिए गोरखपुर में ११ मार्च को बिल्डिंग का उद्घाटन तो कर दिया, लेकिन अब तक इसे चालू नहीं कर पाए। साल भर पहले बनी शहर के प्रमुख चौराहों पर हाइटेक कैमरे लगाने और ट्रैफिक रूल तोडऩे वालों पर हाइटेक निगरानी का दावा हवा-हवाई साबित हुआ।
शहर में ट्रैफिक मुवमेंट में लगे टीआई सहित पेट्रोलिंग, एसआई व एएसआई को गुरुवार को १५ दो पहिया वाहन आवंटित किए गए। अभी निजी वाहनों से पेट्रोलिंग या जाम खुलवाने के लिए कर्मियों को जाना पड़ता था। इन वाहनों में सायरन से लेकर कई अत्याधुनिक फीचर जोड़े गए हैं।
दो पहिया वाहन-४.२५ लाख
चार पहिया वाहन-१.२० लाख
ऑटो-१८००
यात्री बस-८८०
टैक्सी वाहन-८०००
अन्य-५२,००० दशमेश द्वार
डेढ़ साल पहले यहां सिग्नल तो लगा दिए, लेकिन चौराहे का स्वरूप और वाहनों की आवाजाही को ध्यान में नहीं रखा। जिसकी वजह से इस सिग्नल को चालू नहीं कर पा रहे।
भंवरताल, चौथा पुल और रसल चौक को जाने वाले इस तिराहे पर सिग्नल तो लगा दिए, लेकिन इसका पालन आज तक नहीं करा पाए। आलम ये है कि इस तिराहे पर हर तीसरे दिन कोई न कोई वाहन चालक हादसे का शिकार बनता है।
बाबूराव परांजपे तिराहा
मदनमहल, रानीताल और महाराष्ट्र स्कूल मार्ग को जोडऩे वाले इस तिराहे पर बनी रोटरी और मोड़ एेसे हैं कि यहां भी सिग्नल चालू नहीं कर पाए।
भंवरताल, एमएलवी व तीन पत्ती से ब्लूम चौक मार्ग को जोडऩे वाले इस तिराहे पर भी सिग्नल लगाए गए। बावजूद इसे व्यवस्थित नहीं कर पाए। यहां भी वाहनों की आवाजाही के चलते अक्सर जाम के हालात बन जाते हैं।
-आरएलवीडी (रेड लाइट वायलेंस डिटेक्टर) और एएनपीआर (ऑटोमैटिक नम्बर प्लेट डिटेक्टर) कैमरे प्रमुख चौराहे पर लगाए जाएंगे।
-डाटा सेंटर में बड़ी-बड़ी एलसीडी स्क्रीन पर इससे वाहनों की निगरानी की जाएगी।
-कैमरों की मदद से हर चौराहें का अपना एक डाटा होगा। अलग-अलग चौराहों पर कहां कितना और कब-कब ट्रैफिक दबाव बढ़ता है।