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जबलपुर

भैंस पालने के लिए एक भैंस के जमा करने पड़ेंगे 15 सौ रुपए, जानिए क्या है माजरा

15 दिन के अंदर लाइसेंस लेने के लिए आवेदन दो, तभी चल सकेंगी डेयरियां, हाईकोर्ट ने कहा

जबलपुरSep 29, 2016 / 11:05 pm

neeraj mishra

dairy

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जबलपुर। मप्र हाईकोर्ट ने शहर के डेयरी संचालकों को निर्देश दिए हैं कि वे अपनी डेयरियों की हर भैंस के लिए जिला प्रशासन के पास 1500 रुपए नकद या बैंक गारंटी के रूप में जमा करें। इसके लिए उन्हें 48 घंटों का समय दिया गया है। जस्टिस एसके गंगेले व जस्टिस एचपी सिंह की युगलपीठ ने डेयरी संचालकों को प्रदूषण नियंत्रण मंडल व नगर निगम से लायसेंस, अनुमति लेने के लिए 15 दिन की मोहलत दी है। कोर्ट ने ताकीद की है कि वैधानिक अनिवार्यताएं पूरी किए बिना डेयरी संचालन नहीं किया जा सकता।

यह है मामला

डॉ. पीजी नाजपांडे की ओर से 1998 में दायर याचिका में कहा गया था कि शहरी सीमा के अंदर, नदियों व राजमार्गों के समीप अवैध डेयरियों का संचालन हो रहा है। इनकी वजह से नर्मदा व इसकी सहायक नदियों परियट व गौर का जल प्रदूषित हो रहा है। याचिकाओं में इन अवैध डेयरियों को शहरी सीमा से बाहर करने व इनके लिए नीति निर्धारण की मांग की गई है।गत 26 अगस्त को अवैध डेयरियों पर नियंत्रण के लिए बनाई गई नयी डेयरी नीति (व्यवसायिक डेयरी परिक्षेत्र हेतु मार्गदर्शी सिद्धांत-2014) गत अक्टूबर 2015 को अधिसूचित करने के लिए सरकार को चार सप्ताह की मोहलत दी गई थी।

गुरुवार को जबलपुर पशुपालक एवं दुग्ध उत्पादक संघ की ओर से अर्जी दायर कर कहा गया कि प्रशासन के निर्देश पर गत दिनों 19 डेयरियों के बिजली कनेक्शन काट दिए गए। इसके चलते इन डेयरियों के पशुओं, मुख्यत: भैंसों की जान को खतरा उत्पन्न हो गया है। लिहाजा इनकी बिजली तत्काल जोड़ी जाए। संघ की ओर से कोर्ट को बताया गया कि प्रशासन को हाईकोर्ट ने डेयरी संचालकों के लिए वैकल्पिक जगह की व्यवस्था करने के निर्देश दिए थे। इस निर्देश का पालन नहीं किया जा रहा है। 

अवैध डेयरियों का संचालन

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि नगर निगम व प्रदूषण नियंत्रण मंडल के अपनी रिपोर्टों में बताया है कि बड़ी संख्या में अवैध डेयरियों का संचालन किया जा रहा है । मूल याचिकाकर्ता डॉ पीजी नाजपांडे ने अपना पक्ष स्वयं रखते हुए बताया कि 1998 में याचिका दायर होने के बाद से अवैध डेयरियों पर नियंत्रण के लिए कई बार आदेश-निर्देश जारी किए गए, लेकिन अभी तक इनके पालन में एक भी डेयरी संचालक ने मप्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल और नगर निगम से लायसेंस व अनुमति नहीं ली है। इनमें से अधिकांश के पास खुद के ईटीपी (इफ्लूएंट ट्रीटमेंट प्लांट) नहीं हैं। नतीजतन इनकी गंदगी परियट, गौर व नर्मदा नदियों में मिल रही है। जिससे इनका नदियों का जल प्रदूषित हो रहा है। 

फिर से जोड़ी जाए बिजली

डेयरी संघ की ओर से अधिवक्ता शशांक शेखर ने कोर्ट को बताया कि वे नियमों का पालन करने का अभिवचन देते हैं। इस पर कोर्ट ने डेयरी संचालकों को 15 दिनों के अंदर लायसेंस व अन्य वैधानिक के लिए आवेदन देने के निर्देश दिए। कोर्ट ने कहा कि जिन डेयरियों की बिजली काटी गई है, फिर से जोड़ी जाए। इसके 48 घंटे के अंदर डेयरी संचालक प्रति भैंस 1500 रुपए प्रशासन के पास जमा करें। कोर्ट ने कहा कि एेसा न होने पर जिला प्रशासन फिर से बिजली काट सकता है। कोर्ट ने सरकार को डेयरी नीति अधिसूचित करने के लिए मामले की अगली सुनवाई 18 अक्टूबर तक की मोहलत दे दी।
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