सुबह सिंह द्वार पर डोली को राजकीय सम्मान के साथ सलामी दी गई। इसके बाद माता की डोली को दंतेवाड़ा के लिए रवाना किया गया। विदाई में सैकड़ों लोग शामिल हुए। पारंपरिक गाजे बाजे और आतिशबाजी के बीच माताजी की डोली दंतेश्वरी मंदिर से जिया डेरा तक पहुंचाई गई। दंतेश्वरी मंदिर से जिया डेरा तक सड़क को पानी से साफ किया गया। इसके बाद भक्त माता की डोली के साथ ही शोभायात्रा में शामिल लोगों पर फूल बरसाते रहे।
माता को विदाई देने के साथ उपहार स्वरूप कई सामान भी भेंट किए गए। जिया डेरा से माता की डोली दंतेवाड़ा के लिए रवाना हुई। 75 दिनों तक अलग-अलग रस्मों और विधानों के बाद अब बस्तर दशहरा समाप्त हो गया है।