scriptDwaparyug: 100 साल बाद बन रहा ये संयोग, इसी नक्षत्र में हुआ था महाभारत का युद्ध, 13 दिनों तक भूलकर भी ना करें.. | Dwaparyug: happening after 100 years Mahabharat took in this constellation do not forget 13 days | Patrika News
जगदलपुर

Dwaparyug: 100 साल बाद बन रहा ये संयोग, इसी नक्षत्र में हुआ था महाभारत का युद्ध, 13 दिनों तक भूलकर भी ना करें..

ज्योतिषाचार्य पंडित दिनेश दास ने बताया कि द्वापर युग के महाभारत काल में युद्ध के दौरान 13 दिन के पक्ष में यह दुर्योग काल निर्मित हुआ था।

जगदलपुरMay 16, 2024 / 06:07 pm

Kanakdurga jha

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Dwaparyug: सैंकड़ों वर्षों बाद 2024 का आने वाला आषाढ़ मास का कृष्ण पक्ष देश और दुनिया के लिए संकट का कारण बनने वाला है। 23 जून से 21 जुलाई तक आषाढ़ मास के दौरान कृष्ण पक्ष में द्वितीया तिथि और चतुर्थी तिथि के क्षय होने से यह पक्ष 13 दिनों की होगी और यह काल दुर्योग काल के रूप में होगा। यह संयोग शुभ नहीं माना जाता है। लिहाजा दुर्योग काल के 13 दिनों तक शुभ काम या कोई भी मांगलिक काम नहीं करना चाहिए।

Dwaparyug: 100 साल बाद बन रहा महाभारत काल का संयोग

द्वापर में हुई थी जनहानि: ज्योतिषाचार्य पंडित दिनेश दास ने बताया कि द्वापर युग के महाभारत काल में युद्ध के दौरान 13 दिन के पक्ष में यह दुर्योग काल निर्मित हुआ था। उस काल में भारी जनहानि और प्राकृतिक आपदा की घटनाएं घटी थी। कौरव पांडवों के बीच भीषण युद्ध के दौरान अपार जनहानि हुई थी। इस काल में भी प्राकृतिक प्रकोप बढ़ने की आशंका व्यक्त किया जा रहा है।

Dwaparyug Sanyog In Kalyug: ज्योतिष के अनुसार

ज्योतिष ने बताया कि हिन्दू पंचांग के अनुसार संवत 2081 में आषाढ़ मास 23 जून से 21 जुलाई तक रहेगा। इस दौरान कृष्ण पक्ष में द्वितीया और चतुर्थी तिथि का क्षय होगा। यही वजह है कि 23 जून से 5 जुलाई तक आषाढ़ की कृष्ण पक्ष समाप्त हो जायेगा। इस तरह कृष्ण पक्ष 15 दिनों के बजाय 13 दिनों का होगा।

इसी योग में हुआ था महाभारत का युद्ध

द्वापरयुग में इसी योग में महाभारत का युद्ध हुआ था। महाभारत के युद्ध में कौरव और पांडव के बीच युद्ध हुआ। इस युद्ध में कौरव वंश का विनाश हो गया 100 भाई मारे गए। परन्तु अंत में सत्य ही विजयी हुआ। महाभारत के युद्ध में भगवान कृष्ण पांडवों के पक्ष में थे। सत्य को जीत दिलाने पहले भगवान् कृष्ण ने शांतिपूर्ण रूप से अथक प्रयास किया लेकिन, कौरवों को भगवान कृष्ण के दिए हुए एक भी एक भी प्रस्ताव मंजूर नहीं थे। अंत में पांडवों को नये दिलाने महाभारत हुआ।
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द्वापरयुग में बनी थी ऐसी स्थिति

सुर्योग काल में ही महाभारत के युद्ध में चारों और लाशें ही लाशें बिछी हुई थी। कौरव के 100 भाई मारे गए थे। कौरवों ने असत्य का साथ दिया था। पांडवों को जन्म से ही पीड़ा दी, द्रौपदी का वस्त्रहरण किया। इतना ही नहीं पांडवों को 12 साल का वनवास और एक साल के लिए अज्ञात वास में भेज दिया। पांडवों द्वारा हुए इस अन्याय से भगवान कृष्ण पांडवों के पक्ष में खड़े हुए और कौरवों के सामने पांडव भाईओं के पक्ष से न्याय का प्रस्ताव रखा।

ऐसे हुआ था युद्ध

महाभारत के युद्ध के पहले भगवान कृष्ण ने कौरवों की सभा में जाकर शांतिपूर्ण से न्याय दिलाने का प्रस्ताव रखा। भगवान कृष्ण ने प्रस्ताव दिया कि द्रौपदी के साथ किए दुर्रव्यवहार के लिए माफ़ी मांगों, पांडवों को केवल पांच गांव दे दो। लेकिन, कौरव भाइयों को इतने में भी संतुष्टि नहीं मिली। कौरवों ने भगवान के प्रस्ताव को ठुकरा दिया। और कृष्ण को बंधी बनाकर उनका अपमान किया। निश्चय ही भगवान् को बंधी बना लेने से कौरवों के विनाश का आरंभ हो गया।
इसके बाद महाभारत का युद्ध प्रारंभ हो गया एक तरफ कौरवों की सेना तो दूसरी और न्याय और सत्य का हाथ थामे पांडव थे। महाभारत का यह युद्ध 18 दिनों तक चला था। इस युद्ध में पांडव विजयी हुए। महाभारत के युद्ध के बाद भगवान कृष्ण ने पांडवों के बड़े भाई युधिष्ठिर को सम्पूर्ण आर्यव्रत का महाराज घोषित कर राजतिलक किया और द्वारका लौट गए। इस तरह द्वापरयुग में सत्य की जीत हुई।

इस काल में भूलकर भी ना करें ऐसे काम

यह मान्यता है कि महाभारत काल का ये दुर्योग काल शुभ नहीं है। इस काल में विनाश, आपदा और आपातकालीन जैसी परिस्थितियां उत्पन्न होती है। कयुग में यह काल इस बहार 100 साल के बाद फिर से बन रहा है। इस काल में लोगों को भूलकर भी कोई मांगलिक कार्य जैसे कि शादी, विवाह, गृह प्रवेश, निवेश या कीमती चीजों की खरीदारी नहीं करनी चाहिए।

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