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जगदलपुर

पिछले पांच साल से अपने नंबर का इंतजार कर रहे पुरूष उम्मीदवारों को लगा झटका, जब जगदलपुर के लिए हुई ये घोषणा

नगर निगम गठन के बाद जगदलपुर शहर में दूसरी बार ऐसा होगा।

जगदलपुरSep 19, 2019 / 11:19 am

Badal Dewangan

पिछले पांच साल से अपने नंबर का इंतजार कर रहे पुरूष उम्मीदवारों को लगा झटका, जब जगदलपुर के लिए हुई ये घोषणा

पिछले पांच साल से अपने नंबर का इंतजार कर रहे पुरूष उम्मीदवारों को लगा झटका, जब जगदलपुर के लिए हुई ये घोषणा

जगदलपुर. शहर को 10 साल बाद फिर से महिला महापौर मिलेगी। बुधवार को नगरीय निकायों में महापौर और अध्यक्ष पद के लिए आरक्षण तय कर दिया गया है। अब जगदलपुर महापौर की सीट पर सामान्य महिला बैठेंगी। नगर निगम गठन के बाद यहां दूसरी बार कोई महिला महापौर बनेंगी। मिली जानकारी के अनुसार निगम क्षेत्र के सभी ४८ वार्डों की आरक्षण प्रक्रिया २६ सितंबर को होगी। अनारक्षित महिला सीट के एलान के साथ ही कांग्रेस और भाजपा संभावित दावेदारों को टटोलने में जुट गए हैं। फिलहाल इस श्रेणी में कांग्रेस और भाजपा के सक्रिय सदस्यों को देखते हुए उम्मीदवारों के नाम सोशल मीडिया पर सामने आने भी शुरू हो गए हैं। दोनों ही पार्टियों के संगठन ने चुनाव के मद्देनजर पहले ही आरक्षण लिस्ट के हिसाब से नाम तय कर लिए थे। इससे पहले २००९ में गीतेश मल्ल ओबीसी सीट से पहली बार महिला महापौर बनी थीं।

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आरक्षण प्रक्रिया घोषित
बुधवार को पहले नगर निगम और नगर पालिका के महापौर का आरक्षण हुआ। इसके बाद नगर पंचायत के अध्यक्ष पद के लिए आरक्षण की प्रक्रिया होगी। बता दें कि प्रदेश में कुल 13 नगर निगमों में से 10 में आगामी नवंबर दिसंबर माह में चुनाव होने की संभावना है। प्रदेश में नगर पालिकाओं के लिए भी आरक्षण प्रक्रिया घोषित कर दी गई है।

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पुरुष उम्मीदवार निराश
पिछले पांच साल से अपने नंबर का इंतजार कर रहे पार्टियों के पुरुष नेताओं को उस वक्त तगड़ा झटका लगा जब आरक्षण के चलते जगदलपुर सीट को महिला घोषित किया गया। इसके बाद से इन नेताओं के चेहरे लटके हुए हैं। कांग्रेस व भाजपा दोनो ही पार्टियों में कई एेसे वर्तमान जनप्रतिनिधि थे जो इस पद के लिए प्रबल दावेदार थे। लेकिन महिला सीट की वजह से उनके सपने टूट गए।

पहले भी रह चुकी हैं प्रथम नागरिक
नगर निगम बनने के बाद गीतेश मल्ल पहली महापौर बनी थी। हालांकि नगर पालिका के दौरान गिरिजा वाजपेयी, निशा शुक्ला भी शहर की प्रथम नागरिक के पद पर रह चुकी हैं। इनमें से प्रत्येक के कार्यकाल में या तो पार्टी, या फिर उनकी खुद कि किचन केबीनेट ने ही सक्रियता दिखाई है।

संगठन के दिग्गज हुए सक्रिय
अनारक्षित सीट के साथ ही महिला महापौर की बात सामने आते ही संगठन के दिग्गज नेता अपने अपने चेहतों को टिकट दिलाने के लिए लॉबिंग करना शुरू कर दिया है। प्रदेश प्रभारियों समेत इन महिलाओं को कैसे चुनाव तक सबसे पसंदीदा नेता के तौर पर लोगों के बीच पेश करना है इसके लिए भी रणनीति तैयार करने में लग गए हैं। वहीं पूर्व जनप्रतिनिधि अपनी पत्नियों की लाबिंग करने सक्रिय हो गए हैं। येन- केन प्रकारेण सत्ता के नजदीक बने रहने राजधानी तक की दौड़ भी शुरू हो गई है। सोशल मीडिया पर तो संभावित दावेदारों के नाम पर जमकर चर्चा भी हो रही है।

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