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जगदलपुर

ग्रामीणों ने कहा एड़समेटा में हुई घटना के बाद अपनों का शव उठाने कोई मर्द नहीं बचा गांव में

ग्रामीणों ने सीबीआई (CBI) के सामने सवाल उठाया कि माओवादी (Naxalite) बैठक में तो महिलाएं (Ladies Moist) भी शामिल रहती हैं, तो इतने बड़े हमले में एक भी महिला निशाने पर क्यों नहीं आईं।

जगदलपुरJul 23, 2019 / 04:30 pm

Badal Dewangan

Naxalite

ग्रामीणों ने कहा एड़समेटा में हुई घटना के बाद अपनों का शव उठाने कोई मर्द नहीं बचा गांव में

जगदलपुर. सीबीआई की टीम एड़समेटा में ग्रामीणों से चर्चा कर रही थी तो यह बात भी सामने आई कि जिस रात हमला हुआ उस वक्त ग्रामीण बीजपंडुम मना रहे थे। इस कार्यक्रम में सिर्फ पुरूष ही शामिल होते हैं। महिलाओं को इसमें आने की मनाही रहती है। जबकि घटना के बाद पुलिस ने दावा किया था कि यहां माओवादी बैठक हो रही थी, एसे में ग्रामीणों ने सवाल उठाया कि माओवादी (Naxalite) बैठक में तो महिलाएं (Lady moist) भी शामिल रहती हैं, तो इतने बड़े हमले में एक भी महिला निशाने पर क्यों नहीं आईं? ग्रामीणों के इस तर्क को सीबीआई ने गंभीरता से लिया है। माना जा रहा है कि सीबीआई इस एंगल पर अपनी जांच आगे बढ़ाएगी। अगस्त माह में गंगालूर में जो ग्रामीणों के बयान दर्ज किए जाएंगे उसमें भी इसे शामिल किया जाएगा।

मारे गए लोगों को छोड़ जवान मासा को अपने साथ ले गए और करीब से मार दी थी गोली
बुधरी ने बताया कि घटना के बाद पुलिस के जवान एक ग्रामीण कारम मासा को अपने साथ ले गए। इस वक्त तक मासा जिंदा था। मासा को जवानों ने करीब से गोली मारी और उसे माओवादी बता दिया। ग्रामीणों का कहना है कि पुलिस केवल मासा को अपने साथ ले गई थी। बाकी के ग्रामीणों का शव घटनास्थल पर ही पड़ा था। दूसरे दिन गांव की महिलाएं घटना स्थल में पड़े शवों को खाट पर डालकर गंगालूर पहुंची।

जवान की मौत अपनों की गोली से
इस घटना में एक जवान की भी मौत हुई थी। जब ग्रामीणों से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि तीन तरफ से घेरकर गोलियां बरसाई जा रही थी। इसमें एक जगह एेसी भी आती है जिसमें जवान आमने सामने की स्थिति में थे। एेसे में अपनों की ही गोलियां उसे लगी होंगी। क्योंकि पंडुम की जगह कोई भी हथियार नहीं था।

घटना में घायल हुए ग्रामीणों ने ‘पत्रिका’ को बताया दहशत की उस रात की दास्तान
पत्रिका से इस घटना में घायल हुए लोगों ने उस दिन हुई घटना के दौरान दहशत के वह पल बताए। उन्होंने कहा कि कैसे उनकी जान बची और अपनी जान बचाने के लिए उस रात कितना संघर्ष करना पड़ा।

कंधे में गोली लगते ही कुएं की तरफ भागा
पुनेम सोमलू ने बताया कि, बीजपंडुम में शामिल होने के लिए अपने चाचा के साथ पहुंचा था। पूजा चल ही रही थी। तभी पहाडि़यों की तरफ से गोलियां चलने लगी। ग्रामीण एक एक कर जमीन में गिरने लगे और कुछ भागने लगे। इसी बीच मेरे भी कंधे में गोली लगी। जिसके बाद मैं घटनास्थल से करीब ३०० मीटर दूर स्थित कुएं की ओर गिरते पड़ते भागा और मुंडेर में जाकर छिप गया।

जांघ में गोली लगते ही जमीन पर गिर गया
कारम छोटू ने ऐसा बताया कि, रात को पटाखे की आवाज के साथ ही जांघ में गोली लगकर दूसरी तरफ से निकल गई और मैं गिर गया। इसके बाद अफरा तफरी मच गई। तब समझ में आया कि गोली चल रही है। जान बचाने घिसटत हुए खेत तक पहुंचा और उसकी मेड के सहारे छिप गया। गोलियों की आवाज बंद हुई तो उसी हाल में पहाड़ी में जाकर छिप गया। दूसरे दिन वापस आने की हिम्मत जुटा पाया हूं।

कमर में गोली लगते ही हो गया बेहाश
कारम आयतु ने बताया कि, पंडुम में शामिल होने में देर हो गई थी। जैसे ही पहुंचा गोलीबारी शुरू हो गई। शुरूआत में ही गोली कमर में लग गई और मैं बेहोश हो गया। जब आंख खुली तो खून से सनी लाशें दिखीं। उसी दौरान एक घायल को वर्दी में जवान लेकर जा रहे थे। दूसरे दिन तक शरीर में गोली लिए जंगल में ही छिपा रहा। इसके बाद गांव के लोग मुझे गंगालूर तक ले गए।

महिलाएं खाट पर लिटा ले जा रहीं थी
कारम सन्नू ने कहा मैं कुएं से पानी लाकर लौटा था। तभी गोलियां चलने लगी। कंधे में गोली लगने के बाद जान बचाने के लिए भागा। लेकिन इधर से भी गोली चल रही थी। खेत के बीच जाकर बेहोश होकर गिर पड़ा। दूसरे दिन जब आंख खुली तो गांव की महिलाएं खाट पर मुझे पहाड़ी की तरफ लेकर जा रहीं थी। पूछने पर बताया कि गांव में कोई भी पुरूष नहीं है और कई लोग मारे गए हैं।

अपनों के शव उठाने दूसरे दिन गांव कोई मर्द ही नहीं बचा था
महिला कारम पोदी बतातीं हैं कि रात को जब पटाखों की आवाज आई तो उस वक्त गांव में महिलाएं ही महिलाएं थी। वे इस आवाज की तरफ भागीं। उन्होंने देखा कि वर्दीधारी जवान गोलियां बरसा रहे थे। जान बचाने वे जंगल में ही छिपकर खूनी मंजर देखने लगीं। दो घंटे के बाद जवान जब यहां से गए तो वे मौके पर पहुंची। चारों ओर लाशें बिखरी थी। कुछ ही देर में यहां गांव के सभी लोग इक_े हो गईं। इसमें उनके पति की भी मौत हो गई। दूसरे दिन जब घायलों और शव को ले जाने की बात सामने आई तो गांव में कोई भी पुरूष नहीं था। घटना के बाद सभी लोग अपनी जान बचाने के लिए सुरक्षित ठिकाने ढूंढ कर छिपे हुए थे।

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