scriptदागियों की भरमार: मध्यप्रदेश में 5 में से 2, राजस्थान व छत्तीसगढ़ में हर चौथा एमएलए दागी | 2 out of 5 in MP, every 4 MLA tainted in Rajasthan and Chhattisgarh | Patrika News
जयपुर

दागियों की भरमार: मध्यप्रदेश में 5 में से 2, राजस्थान व छत्तीसगढ़ में हर चौथा एमएलए दागी

मध्यप्रदेश में 5 में से 2 विधायकों पर मुकदमा चल रहा है, तो राजस्थान व छत्तीसगढ़ में लगभग एक चौथाई विधायक दागी हैं।

जयपुरApr 17, 2021 / 09:15 pm

Kamlesh Sharma

2 out of 5 in MP, every 4 MLA tainted in Rajasthan and Chhattisgarh

मध्यप्रदेश में 5 में से 2 विधायकों पर मुकदमा चल रहा है, तो राजस्थान व छत्तीसगढ़ में लगभग एक चौथाई विधायक दागी हैं।

शैलेंद्र अग्रवाल/जयपुर। मध्यप्रदेश में 5 में से 2 विधायकों पर मुकदमा चल रहा है, तो राजस्थान व छत्तीसगढ़ में लगभग एक चौथाई विधायक दागी हैं। शपथ पत्रों के अनुसार कुछ विधायकों पर हत्या, हत्या के प्रयास, महिलाओं के प्रति अपराध और समाज में नफरत बढ़ाने जैसे गंभीर आरोप भी हैं।
राजनेता कहते हैं उन्हें मुकदमों में फंसाया जाता है और जनता की शिकायत है कि राजनेताओं पर कार्रवाई नहीं होती। दोनों ही स्थितियां लोकतंत्र की सेहत के लिए गंभीर हैं। पत्रिका ने राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के पिछले 3 विधानसभा चुनावों के समय पेश शपथ पत्रों का विश्लेषण किया तो चौंकाने वाली स्थिति सामने आई। हर चुनाव के बाद तीनों राज्यों में विधानसभा में कानून बनाने की जिम्मेदारी संभालने वाले विधायकों पर अपराध के दाग बढ़ते जा रहे हैं। इनकी संख्या 10 साल में लगभग दोगुणा हो गई। मध्यप्रदेश में संख्या सबसे ज्यादा है। वहां चुनाव के समय लगभग 41 प्रतिशत विधायकों पर मुकदमे थे। राजस्थान में दागी विधायक तो मध्यप्रदेश के मुकाबले कम हैं लेकिन 10 साल से पुराने मुकदमे मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ से ज्यादा हैं।
मध्यप्रदेश: दागियों को टिकट देने में कांग्रेस आगे
कुछ महीनों को छोड़ दें तो मध्यप्रदेश में लगातार भाजपा सरकार रही लेकिन पिछले तीनों विधानसभा चुनावों में दागियों को टिकट देने में कांग्रेस आगे रही। पिछले साल उपचुनाव में भी दागियों को ज्यादा उतारने वाली पार्टी कांग्रेस थी लेकिन सजा के लिहाज से गंभीर अपराध करने वालों को टिकट देने में भाजपा आगे रही। कांग्रेस ने गंभीर आरोप वाले 6 और भाजपा ने 8 उम्मीदवारों को उतारा।
राजस्थान: 8 से 28 हो गए गंभीर आरोप वाले
राजस्थान में संख्या के लिहाज से दागी विधायकों की संख्या पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश से कम है लेकिन गंभीर आरोप वाले विधायकों की संख्या 10 साल में 8 से 28 तक पहुंचना चिन्ताजनक है। तेरह विधायकों पर 10 साल से अधिक पुराने मुकदमे हैं। इनमें सबसे पुराना मुकदमा वरिष्ठ विधायक कैलाश मेघवाल के खिलाफ है, जो 1996 का है। उन पर गृहमंत्री रहते भीड़ का समर्थन करने का आरोप है।
छत्तीसगढ़: एक विधायक पर हत्या का आरोप भी
विधायक आशीष कुमार छाबड़ा ने चुनाव के समय पेश शपथ पत्र में खुद पर हत्या के प्रयास सहित 10 मुकदमे लंबित बताए थे। विकास उपाध्याय ऐसे विधायक हैं, जिन्होंने 22 साल पुराना मुकदमा लंबित होने का खुलासा किया। विकास उपाध्याय के खिलाफ 7 मुकदमे पंद्रह साल से अधिक पुराने थे।
चुनाव आयोग सरकार की जेब में
सजा हो जाती है, उस पर दशकों तक स्टे चलता है और अपराधी चुनाव लड़ते रहते हैं। मुख्तार अंसारी को देख लें, कितने मुकदमे हैं लेकिन चुनाव जीतता है। सुप्रीम कोर्ट कुछ क्यों नहीं करता? चुनाव आयोग तो लगता है सरकार की जेब में बैठा है। दल अपराधियों को टिकट नहीं दें, ऐसा चाहते हैं तो राजनीति को नीचे से ऊपर तक साफ करना होगा। पहले बूथ लूटने में अपराधी नेताओं का साथ देते थे, अब वे स्वयं नेता बनने लगे हैं। अपराधी सदन में बैठें और कानून बनाएं तो दुर्भाग्यपूर्ण है। यह संविधान के लिए भी ठीक नहीं।
सुनील अंबवाणी, पूर्व मुख्य न्यायाधीश, राजस्थान हाईकोर्ट
मुकदमा लंबा खींचते हैं
राजनेताओं को मुकदमे में फंसाना तो मुश्किल है लेकिन लंबित मुकदमों में छोटे भी काफी हैं। पार्टियों का टिकट देने का पैमाना है कि जीतने वाला होना चाहिए। हो सकता है मुकदमे झूठे भी हों लेकिन ट्रायल जल्दी होनी चाहिए। परंतु आम समस्या यह है कि राजनेता मुकदमों को लंबा खींच लेते हैं।
विजय हंसारिया, वरिष्ठ अधिवक्ता और दागी सांसद-विधायक मामले में सुप्रीम कोर्ट में न्याय मित्र

Home / Jaipur / दागियों की भरमार: मध्यप्रदेश में 5 में से 2, राजस्थान व छत्तीसगढ़ में हर चौथा एमएलए दागी

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो