महेंद्र सिंह धोनी के पूर्व बिजनेस पार्टनर गिरफ्तार, फ्रेंचाइजी देने के नाम पर किया ये काम
महाआरती के बाद कार्यक्रम समापन
बिना सारथी की बैलगाड़ी में आई प्रतिमा मदिर में शहर का सबसे प्राचीन-अतिशयकारी एकमात्र मूलनायक भगवान महावीर का मंदिर अपनी सुंदरता के लिए खास है। 215 साल पुराना ऐसा मंदिर है जहां स्वतः ही प्रतिमा बैलगाड़ी में मंदिर के बाहर आकर रूक गई। 215 वर्ष पहले संवत 1148 में भूमि खरीद कर मंदिर की नींव रखी। मंदिर अध्यक्ष एनके सेठी, मंत्री अशोक टकसाली के मुताबिक किवंदति है कि आमेर के एक मंदिर में दो मूर्तियां मिली। इन्हें अलग-अलग दो बैलगाड़ियों पर बिना सारथी के छोड़ने का निर्णय लिया। एक बैलगाड़ी आमेर की नसियां के दरवाजे पर खड़ी हो गई। दूसरी बैलगाड़ी जिसमें भगवान महावीर स्वामी की खड़गासन मूर्ति विराजमान थी। स्वतःचलती हुई गोपाल जी का रास्ते में स्थित मंदिर के सामने खड़ी हो गई। मंदिर में दूसरी वेदी बनाकर प्रतिमा विराजित की।
यह मूर्ति 82′ गुणा 21 के आकार की आदमकद है। इसके अलावा पन्ने, माणक सहित अन्य दुलर्भ 24 तीर्थंकरों की 32 के आसपास प्रतिमाएं हैं। दीवारों पर सोने का कार्य हुआ है। विख्यात जैन तीर्थ सम्मेद शिखर का सोने की कलम का बारीकी से पूरा दर्शन विवरण दर्शाया है। जैन चिन्ह का विवरण, पुराने शास्त्रों की मान्यता, भित्ति चित्र सोने के काम में बने हुए हैं।