scriptभगवान महावीर स्वामी का जन्म कल्याणक महोत्सव, 215 वर्ष पुराने मंदिर में खड़गासन प्रतिमा का होगा महामस्तकाभिषेक | 2623rd birth anniversary of Lord Mahavir Swami, the 24th Tirthankar of Jainism, Kalyanak Mahotsav on 21st April | Patrika News
जयपुर

भगवान महावीर स्वामी का जन्म कल्याणक महोत्सव, 215 वर्ष पुराने मंदिर में खड़गासन प्रतिमा का होगा महामस्तकाभिषेक

Jaipur : विश्व को अहिंसा परमो धर्म का संदेश देने वाले जैन धर्म के 24 वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी के 2623 वें जन्म कल्याणक महोत्सव के मौके पर राजस्थान जैन सभा जयपुर की ओर से पहली बार भगवान महावीर की संवत 1148 की प्रतिष्ठित प्राचीन अतिशयकारी खडगासन प्रतिमा के महामस्तकाभिषेक होगें।

जयपुरApr 13, 2024 / 08:07 am

Kirti Verma

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Jaipur : विश्व को अहिंसा परमो धर्म का संदेश देने वाले जैन धर्म के 24 वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी के 2623 वें जन्म कल्याणक महोत्सव के मौके पर राजस्थान जैन सभा जयपुर की ओर से पहली बार भगवान महावीर की संवत 1148 की प्रतिष्ठित प्राचीन अतिशयकारी खड़गासन प्रतिमा के महामस्तकाभिषेक होगें। सभा अध्यक्ष सुभाष चन्द जैन ने बताया कि आचार्य चैत्य सागरससंघ के सानिध्य में पहली बार गोपालजी का रास्ता स्थित 215 वर्ष प्राचीन दिगम्बर जैन मंदिर कालाडेरा (महावीर स्वामी ) के मंदिर में रविवार सुबह छह से सुबह आठ बजे तक भगवान महावीर की संवत 1148 में प्रतिष्ठित अतिशयकारी एवं मनोज्ञ खड़गासन प्रतिमा का महामस्तकाभिषेक का विशाल आयोजन होगा। श्रद्धालुगण शुद्ध केसरिया वस्त्र पहनकर भगवान के सिर पर मंत्रोच्चार के साथ कलशा डालेंगे। भजनों की प्रस्तुति भी दी जाएगीं मुख्य समन्वयक मुकेश सोगानी और विनोद जैन के मुताबिक पहले आओ पहले पाओ के आधार पर महामस्तकाभिषेक का पुण्यार्जन मिलेगी। प्रथम 500 आने वाले पुरुष श्रद्धालुओं को महामस्तकाभिषेक करने के लिए सभा की ओर से पीला धोती दुपट्टा नि:शुल्क दिया जाएगा ।

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महाआरती के बाद कार्यक्रम समापन

बिना सारथी की बैलगाड़ी में आई प्रतिमा मदिर में शहर का सबसे प्राचीन-अतिशयकारी एकमात्र मूलनायक भगवान महावीर का मंदिर अपनी सुंदरता के लिए खास है। 215 साल पुराना ऐसा मंदिर है जहां स्वतः ही प्रतिमा बैलगाड़ी में मंदिर के बाहर आकर रूक गई। 215 वर्ष पहले संवत 1148 में भूमि खरीद कर मंदिर की नींव रखी। मंदिर अध्यक्ष एनके सेठी, मंत्री अशोक टकसाली के मुताबिक किवंदति है कि आमेर के एक मंदिर में दो मूर्तियां मिली। इन्हें अलग-अलग दो बैलगाड़ियों पर बिना सारथी के छोड़ने का निर्णय लिया। एक बैलगाड़ी आमेर की नसियां के दरवाजे पर खड़ी हो गई। दूसरी बैलगाड़ी जिसमें भगवान महावीर स्वामी की खड़गासन मूर्ति विराजमान थी। स्वतःचलती हुई गोपाल जी का रास्ते में स्थित मंदिर के सामने खड़ी हो गई। मंदिर में दूसरी वेदी बनाकर प्रतिमा विराजित की।

यह मूर्ति 82′ गुणा 21 के आकार की आदमकद है। इसके अलावा पन्ने, माणक सहित अन्य दुलर्भ 24 तीर्थंकरों की 32 के आसपास प्रतिमाएं हैं। दीवारों पर सोने का कार्य हुआ है। विख्यात जैन तीर्थ सम्मेद शिखर का सोने की कलम का बारीकी से पूरा दर्शन विवरण दर्शाया है। जैन चिन्ह का विवरण, पुराने शास्त्रों की मान्यता, भित्ति चित्र सोने के काम में बने हुए हैं।

 

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