-पदोन्नति में आरक्षण कानूनी बाध्यता नहीं : सुप्रीम कोर्ट सुप्रीम कोर्ट ने अपने हालिया फैसले में कहा है कि राज्य सरकारें अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के लोगों को पदोन्नति में आरक्षण देने के लिए कानूनी तौर पर बाध्य नहीं है। शीर्ष अदालत ने बीते सप्ताह अपने फैसले में कहा कि पदोन्नति में आरक्षण का दावा करना किसी व्यक्ति का मौलिक अधिकार नहीं है।
-पार्टी लाइन से ऊपर उठकर विचार सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद इस मसले को लेकर पार्टी लाइन से ऊपर उठकर दोनों समुदाय के सांसद यहां केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के आवास पर पहुंचे। इस मौके पर उन्होंने इस मामले में आगे की रणनीति बनाने के संबंध में विचार-विमर्श किया। सोमवार को ही, इससे पहले राज्यसभा में थावरचंद गहलोत ने कहा कि अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग की भलाई के लिए सरकार प्रतिबद्ध है।
-विपक्ष का संसद से बहिर्गमन इससे पहले सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने सोमवार को संसद में कहा कि सरकार अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं पिछड़े वर्ग के कल्याण के प्रति समर्पित है। उत्तराखंड में आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट का जो निर्णय आया है, उस पर उच्च स्तर पर विचार विमर्श कर उचित फैसला किया जाएगा। गहलोत के इस बयान को विपक्ष ने अस्पष्ट बताते हुए कड़ा विरोध किया और लोकसभा तथा राज्यसभा से वाकआउट किया। गहलोत ने कहा कि उत्तराखंड में पदोन्नति में आरक्षण के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सात फरवरी को फैसला दिया है। उत्तराखंड सरकार ने यह मामला दायर किया था, जिसमें केंद्र सरकार पक्षकार नहीं थी। उस समय उत्तराखंड में कांग्रेस की सरकार थी। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार इस मामले में समुचित कदम उठाएगी।
-विधेयक लाने की मांग राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलामनबी आजाद ने इसे गंभीर मामला बताते हुए कहा कि यह देश की एक चौथाई आबादी का सवाल है। उन्होंने सरकार से इस मामले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जाने या विधेयक लाने की मांग की।