भारतीय प्राणी सर्वेक्षण (जेडएसआई) के मरुस्थलीय प्रादेशिक केन्द्र जोधपुर ने बीते 55 सालों में थार मरुस्थल में जंतुओं की 68 नई प्रजातियों की खोज की है। इसमें से अधिकतर प्रजातियां निमेटोड वर्ग यानी पेड़ पौधों की जड़ों में स्थित मिट्टी में पाई जाती है। छिपकलियों की आधा दर्जन नई प्रजातियों की खोज हुई है। बीते 55 सालों में मरुस्थल की जैव विविधता में काफी बदलाव हुआ है विशेषकर इंदिरा गांधी नहर आने के बाद।
यह बात शुक्रवार को यहां जेडएसआई के स्थानीय केन्द्र में ‘मरुस्थलीय पारिस्थितिकी तंत्र में प्राणी विविधता’ विषय पर शुरू हुए दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार में वक्ताओं ने कही। जेडएसआई के कोलकाता स्थित मुख्यालय के प्रभारी अधिकारी डॉ. कैलाश चंद्रा ने कहा कि संस्थान अपनी सौवीं वर्षगांठ मना रहा है।
बीते सौ सालों में जेडएसआई के वैज्ञानिकों ने देश में जीवों की कई प्रजातियों की खोज की है। रेगिस्तान से लेकर बर्फ तक, कश्मीर से लेकर कोची तक, असम से लेकर जोधपुर तक कई नवीन प्रजातियां खोजकर उनके संरक्षण के लिए कदम उठाए गए हैं। अब तक 800 शोध पत्र और 200 किताबें प्रकाशित हो चुकी है।
शुष्क वन अनुसंधान संस्थान (आफरी) के निदेशक एनके वासु ने कहा कि देश में वैज्ञानिक जो भी अनुसंधान और खोजें करते हैं, उन्हें धरातल यानी जनता के समक्ष लाया जाना चाहिए। इससे आम जनता को भी देश की वैज्ञानिक शक्ति के बारे में पता चलेगा।
कार्यक्रम को डॉ. आरके वाष्र्णेय, स्थानीय केन्द्र के प्रभारी अधिकारी डॉ. संजीव कुमार और डॉ. एचएस बनियाल ने संबोधित किया। दो दिनों तक चलने वाले इस सेमिनार में 16 वक्ता 80 शोध पत्र प्रस्तुत करेंगे।
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