बच्ची की तबीयत खराब होने पर उसे नारायणा अस्पताल लाया गया। यहां डॉ. राजेश पाठक ने बताया कि यूं तो मां के गर्भ की तरह स्थितियां बनाना संभव नहीं है लेकिन फिर भी हमने सही तापमान, न्यूनतम शोर और प्रकाश के साथ सबसे उन्नत नवजात देखभाल प्रदान करने की कोशिश की है। कई दवाओं, पोषक तत्वों के अलावा तापमान मॉनिटर, हृदय गति मॉनिटर और एपनिया मॉनिटर की सहायता से बच्चे की स्थिति पर 24 घंटे निगरानी की गई।
बच्ची की मां बीना मीणा ने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि डिलीवरी के तीन दिन बाद जब मैंने बच्ची को देखा तो उसे देखते ही मैं दंग रह गई थी कि वह कितनी छोटी थी। जब उसका स्वास्थ्य स्थिर हुआ तो मुझे एनआईसीयू में जाने की अनुमति दी गई और उसकी देखभाल करने की ट्रेनिंग दी गई जो अब बहुत काम आएगी।
लेनसेट के एक अध्ययन के अनुसार दशक 2000 में 25 प्रतिशत की तुलना में 2015 में सभी नवजात मृत्यु का 55 प्रतिशत कारण जन्म के समय कम वजन एवं समय से पहले जन्म है।