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जयपुर

पांच लाख की रिश्वत से कहीं बड़ा है पूरा खेल, होटल से कम नहीं दलाल प्रमोद का मकान

अफसरों का मानना है कि यह सिर्फ पांच लाख रुपए का ही खेल नहीं उससे कहीं बढ़कर है और इसमें एक एसएचओ नहीं और भी कई इंस्पेक्टर एवं अफसर पीड़ित हो सकते हैं।

जयपुरJun 25, 2020 / 12:17 pm

JAYANT SHARMA

acb raid

जयपुर। पांच लाख के घूसकांड के बाद एसीबी के अफसर फिर से सोच में पड़ गए हैं। कारण एक सीनियर आईपीएस अफसर की बातें एसीबी अफसरों के गले नहीं उतर रही है। सरकार से बिना अनुमति लिए सिनीयर आईपीएस लक्ष्मण गौड़ से पूछताछ भी नहीं कर सकती और जांच का दायरा भी बढ़ाना है। अफसरों का मानना है कि यह सिर्फ पांच लाख रुपए का ही खेल नहीं उससे कहीं बढ़कर है और इसमें एक एसएचओ नहीं और भी कई इंस्पेक्टर एवं अफसर पीड़ित हो सकते हैं। दलाल प्रमोद शर्मा के मोबाइल फोन्स की सख्ती से जांच की जा रही है। हांलाकि वाट्सएप कॉल का डेटा निकलवाना चुनौती भरा है। इसकी संभावना बेहद कम है।


पहला ही ऐसा केस जिसमें सिर्फ दलाल आया, मेन पार्टी गायब
एसीबी अफसरों का कहना है कि शायद यह पहला ही इस तरह का केस है जिसमें दलाल ही हाथ आया है। जबकि वह अफसर के घर में बैठकर रिश्वत मांग रहा था और अफसर के घर के फोन से ही फोन कर रहा था। लेकिन अफसर भरतपुर रेंज आई लक्ष्मण गौड उस समय वहां नहीं थे। एसीबी अफसरों का कहना है कि अधितकर कार्मिक आजकल दलाल की मदद से रिश्वत लेते हैं ताकि पकड से बच सकें। लेकिन ट्रेप होने पर दलाल और सरकारी कार्मिक दोनो ही हाथ आते हैं। इस केस में दलाल ही हाथ आ सका है, जिसके नाम से वह रिश्तव मांग रहा था उनकी भूमिका की जांच के बाद ही केस आगे बढ़ सकेगा।

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उधर दलाल प्रमोद शर्मा के मालवीय नगर स्थित बंगले पर जब एसीबी टीम पहुंची तो अफसरों का दिमाग भी घुम गया। एसीबी अफसरों ने बताया कि प्रमोद के बाथरुम में जो जकूजी हॉट स्पा बाथ टब लगा था ऐसा तो सिर्फ फिल्मों में ही देखा था। उसकी कीमत ही चार से पांच लाख रुपए है। बाथरुम में होम थियेटर, लाखों का टीवी और अन्य संसाधन थे। मकान में इतना पैसा लगाया गया है कि वह पांच सितारा होटल की तरह हो गया। हर जगह पर इंम्पोटेड सामान का यूज किया गया। मकान की लागत देखकर नहीं लगता कि यह सिर्फ पांच लाख रुपए के ट्रेप का ही मामला होगा, मामला कहीं ज्यादा बड़ा है।

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एक साल पहले भी भरतपुर में अफसर हुए थे बेनकाब
एक साल पहले भी भरतपुर और धाौलपुर में आईपीएस अफसरों का नकाब उतरा था और उसके बाद कई आईपीएस-आरपीएस अफसरों की भूमिका की जांच की गई थी। दरअसल भरतपुर-धौलपुर में हाइवे पर पशु वाहन, रेता और बजरी माफिया से अवैध वसूली को लेकर दोनो ही जिलों के पुलिस अफसरों के बीच आतरिंक कलह खुलकर सामने आई थी। पिछले साल जुलाई में यह खेल हुआ था। कुछ वीडियो भी सामने आए थे लेनेदन के। उसके बाद ही धौलपुर एसपी अजय सिंह, करौली एसपी प्रीति चंद्रा, सवाई माधोपुर एसपी समीर सिंह और आईजी रेंज भूपेंद्र साहू को हटाया गया था। मृदुल कछावा धौलपुर के नए एसपी और लक्ष्मण गौड़ भरतपुर रेंज के नए डीआईजी के पद पर लगाए गए थे।

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