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अमित शाह ने सिखाए सोशल मीडिया की मदद से ‘युद्ध’ जीतने के गुर, कहा- मोबाइल ही है तोप और बंदूक…

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जयपुरJul 22, 2018 / 02:54 pm

santosh

amit shah

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जयपुर। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने कार्यकर्ताओं को प्रस्तावित विधानसभा और लोकसभा चुनाव में सोशल मीडिया की मदद से ‘युद्ध’ जीतने के गुर सिखाए।

उन्होंने सोशल मीडिया वॉलंटियर्स को ‘साइबर योद्धा’ का नाम दिया। वह बोले, मोबाइल फोन ही तोप और बंदूक है। कंपेरेटिव डाटा गोला-बारूद है उन्होंने सीख दी कि सोशल मीडिया का युद्ध स्फूर्ति, दिमाग और ज्यादा से ज्यादा फैलाने की ताकत से भी जीता जाता है। यह साइबर योद्धा ही चुनावी पटकथा तय करेंगे।

राजमंदिर सिनेमाघर में शनिवार को सोशल मीडिया वालंटियर मीट में शाह ने सोशल मीडिया पर संदेशों के प्रसार और प्रभाव के कई उदाहरण भी बताए। उन्होंने कहा, कर्नाटक चुनाव में भाजपा का अच्छा प्रदर्शन था, लेकिन सोशल मीडिया से कार्यकर्ताओं में निराशा का भाव आ गया। सोशल मीडिया में कार्टून आदि बना कार्यकर्ताओं को निराशा के भाव से निकाला जा सकता है। शाह ने कहा, सरकार ने देश में करीब 22 करोड़ लोगों को विभिन्न योजनाओं से लाभांवित किया, पर उन्हें लगता है यह लाभ उन्हें पटवारी ने दिया।
लोगों को समझाना होगा कि यह लाभ पटवारी ने नहीं बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने उन तक पहुंचाया है। शाह ने कांग्रेस पर तीखे हमले भी किए। उन्होंने कहा कि शुक्रवार को ही लोकसभा में उम्मीद से अधिक मतों से अविश्वास प्रस्ताव गिरा है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी विपक्ष को एकजुट करने के लिए अविश्वास प्रस्ताव लाए थे, लेकिन हमें 326 मत मिले। उन्होंने कहा कि कांग्रेस भ्रष्टाचारियों की पार्टी है और आज हम से जवाब मांग रही है। सर्जिकल स्ट्राइक को जुमला स्ट्राइक कह रहे हैं। उन्होंने कहा कि 20 19 का आम चुनाव हम एक बार फिर जीत कर आएंगे।
रिकॉर्ड टूटा तो ही जीत
कार्यकर्ताओं में स्फूर्ति के लिए शाह ने कहा कि राजस्थान में जीत तय है लेकिन यह जीत तब है, जब हम पुराने नतीजों से ज्यादा सीट जीतें। पिछली बार भाजपा ने राज्य में 161 सीट जीतीं थी। इस बार हम 163 सीटों पर जीतें तो ही जीत मानना।
राजमंदिर में शाह का शो, बाहर मोदी की चाय
देश-दुनिया में विख्यात राजमंदिर सिनेमा हॉल का रूप शनिवार को बदला-बदला नजर आया।
हॉल पर जहां फिल्म का पोस्टर लगता था, वहां अमित शाह का मुस्कुराता फोटो लगा था। फिल्म के नाम की जगह भाजपा की बैठक लिखा था।
सिनेमा हॉल के बाहर नमो टी स्टाल आकर्षण का केंद्र रहा। यहां कार्यकर्ता चाय-नाश्ता करते रहे।
हॉल में शुक्रवार को ही फिल्म ‘धडक़’ लगी थी, दर्शकों को शनिवार को निराश ही लौटना पड़ा।
क्यों मशहूर है राजमंदिर
पांच बत्ती स्थित राजमंदिर सिनेमा पर्यटन स्थल की तरह है। देश के अन्य राज्यों व शहरों से गुलाबीनगर आने वाले सैलानियों की ख्वाहिश यहां फिल्म देखने की रहती है। इस सिंगल स्क्रीन सिनेमा हॉल का आर्किटेक्ट, इंटीरियर और एक्सटीरियर आकर्षण का केंद्र है। यह मेरैंग-शेप ऑडिटोरियम 1 जून 1976 को धर्मेन्द्र और हेमा मालिनी अभिनीत फिल्म ‘चरस’ से शुरू हुआ था। बॉलीवुड की बहुत-सी फिल्मों ने इस सिनेमा हॉल में सिल्वर जुबली की है।

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