गौरतलब है कि आनंदपाल मामले की सीबीआई जांच के लिए आनदंपाल के समर्थकों ने नागौर और सांवराद में बड़ी सभा की थी और इस सभा में तोड़-फोड़ कर दी गई थी। कुछ पुलिसकर्मियों पर भी पथराव किया था और सरकारी संपत्ति को भारी नुकसान पहुंचाया था।
रतनगढ़ और सरदारशहर के बीच बसे मालासर गांव में 24 जून 2017 की रात आनंदपाल का एनकाउंटर हुआ था। उस रात गोलीबारी की वजह से ढाई घंटे तक लोग दहशत में रहे। रात करीब बारह बजे सूचना बाहर आई आनंदपाल मारा गया।
करीब दो साल से फरारी काट रहा आनंदपाल अपने भाई की वजह से पकड में आ गया। एसओजी ने हरियाणा से आनंदपाल के भाई विक्की उर्फ रूपेश और देवेंद्र उर्फ गट्टू को दबोच लिया था। दोनों से काफी समय तक एसओजी ने पूछताछ की, लेकिन कुछ नहीं बोले। इसके बाद टीम ने अपने तरीके से काम लिया और दोनों काे एनकाउंटर करने की धमकी दी।
इस पर विक्की टस से मस नहीं हुआ, लेकिन गट्टू टूट गया। उसने ही एसओजी को आनंदपाल की पगाहगाह के बारे में बताया। एसओजी टीम ने आईजी दिनेश एमएन को आनंदपाल के ठिकाने के बारे में बताया।
दिनेश एमएन के आदेश पर टीम ने आनंदपाल के फरार होने को लेकर संभावित रास्तों के बारे में छानबीन की। फिर कमांडो की मदद से चूरू से एमपी और हरियाणा के जाने वाले समस्त रास्तों को बंद कर दिया था।
हर जगह नाकाबंदी लगा दी। इसके बाद एसओजी ने मकान चिह्नित करके उसे घेर लिया था। आनंदपाल के एनकाउंटर को लेकर एसओजी टीम भी हैरान रह गई थी। उसके पास जो आनंदपाल का चेहरा था, उससे उसका हुलिया बहुत अलग था।