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जयपुर नहीं आएगा देश का बड़ा अस्पताल, सरकार ने बाहर का रास्ता दिखा दिया

47 करोड़ कम दाम देकर रियायती दर पर जमीन चाह रहा था अपोलो अस्पताल, सरकार ने एमओयू ही निरस्त करने दिया आदेश। रिसर्जेन्ट राजस्थान में हुआ था एमओयू।

जयपुरJan 09, 2018 / 11:09 pm

Bhavnesh Gupta

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जयपुर। राज्य सरकार ने बड़े वादे और दावों के साथ रिसर्जेन्ट राजस्थान में कई कंपनियों— संस्थानों के साथ एमओयू किया। ऐसे दिखावटी एमओयू की हकीकत सामने आती जा रही है। सरकारी की दोहरी नीति के चलते निवेशकों का भी मोहभंग हो गया है। ऐसा ही मामला देश के ख्यात अपोलो अस्पताल के लिए चिन्हित जमीन से जुड़ा है। सस्ती जमीन (12500 वर्गमीटर) लेने के चक्कर में लम्बे समय से आवंटन राशि जमा नहीं कराने वाले अपोलो अस्पताल का आवंटन पत्र व एमओयू निरस्त करने की राज्य सरकार ने हरी झंडी दे दी। इसके बाद जेडीए ने भी प्रक्रिया शुरू कर दी। रिसर्जेन्ट राजस्थान में एमओयू हुआ था, जिस पर सरकार ने वाहवाही भी लूटी लेकिन जब रियायती दर पर जमीन देने की बारी आई तो पीछे हट गई। देश के बड़े चिकित्सकीय संस्थान में शामिल अपोलो अस्पताल की सेवाएं जयपुरवासियों को नहीं मिल पाएगी।
87 करोड़ की जमीन 40 करोड़ में लेना चाहता था अस्पताल…
राज्य सरकार के निर्देश पर जेडीए ने अस्पताल प्रशासन को शहर के वैशाली नगर में 12500 वर्गमीटर आवंटन के लिए मांग पत्र सौंपा। इसमें करीब 87 करोड़ रुपए आवंटन राशि निर्धारित की गई। लेकिन अस्पताल प्रशासन ने विश्वस्तरीय सुविधा युक्त इस प्रोजेक्ट का दावा करते हुए 40 करोड़ रुपए में भूमि देने के लिए कहा। तर्क दिया गया कि प्रोजेक्ट की व्यवहारिकता इसी राशि से पूरी हो सकेगी। जबकि, सरकार के साथ हुए एमओयू में 250 करोड़ रुपए निवेश की बात कही गई थी। आधे से भी ज्यादा कम कीमत पर बेशकीमती जमीन देने पर जेडीए तो वहले मौखिक तौर पर ना कर चुका है।
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::47 करोड़ कम करने की यह थी दलील::
—170 करोड़ रुपए कुल खर्चा इमारत निर्माण व चिकित्सकीय संसाधनों में
—120 करोड़ रुपए इसमें निर्माण लागत में होंगे खर्च (4500 रुपए वर्गफीट लागत)
—50 करोड़ रुपए चिकित्सकीय उपकरण—संसाधन के लिए
—40 करोड़ रुपए ही भूमि के लिए दे सकने में समर्थ, क्योंकि प्रोजेक्ट की व्यवहारिकता इसी से
—87 करोड़ रुपए जेडीए मांग रहा जमीन आवंटन शुल्क के पेटे
—300 बेड (शैय्या) का प्रस्तावित म्ल्टीस्पेश्यलिटी अस्पताल
—60 से 65 लाख रुपए प्रति बेड लागत (कैपिटल कॉस्ट प्रति बेड)
अस्पताल बनता तो ये मिलती सुविधां…
—2500 से 3 हजार लोगों को रोजगार (प्रत्यक्ष—अप्रत्यक्ष रूप से)
—इस क्षेत्र में काम करने वाले युवाओं को संस्थान शिक्षा का केन्द्र भी होगा। यह नर्सिंग एवं पैरामेडिकल इंस्टीट्यूट के रूप में भी काम करेगा। 50 से 80 नर्स और टैक्नीशियन।
—कौशल विकास की सुविधा मिलेगी। अपोलो अस्पताल ग्रुप व नेशनल स्कील डवलपमेंट कार्पोरेशन दोनों मिलकर यह काम करेंगे।
—मरीजों का पलायन रुकेगा। चिकित्सकीय सुविधा के लिए राजस्थान से दिल्ली, गुड़गांव या अन्य शहरों में जाने की जरूरत नहीं होगी, क्योंकि आवागमन का यह समय मरीज के लिए घातक।
(एमओयू के आधार पर)
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—अपोलो अस्पताल निर्धारित राशि से कम दर पर भूमि चाह रहा था, जो संभव नहीं है। सरकार को आवंटन पत्र और एमओयू निरस्त करने के लिए फाइल भेजी थी, जिसे स्वीकृति दे दी है। जेडीए ने भी निरस्तीकरण प्रक्रिया शुरू कर दी है। —वैभव गालरिया, जेडीसी

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