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जयपुर

… और सीएम गहलोत बन गए कवी और शायर! पढ़ें दिलचस्प खबर

Ashok Gehlot narrated poem shayari during Budget session: मुख्यमंत्री अशोक गहलोत गुरूवार को एक अलग ही अंदाज़ में दिखाई दिए।

जयपुरFeb 28, 2020 / 10:08 am

Nakul Devarshi

Ashok Gehlot narrated poem shayari during Budget session
जयपुर।

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत गुरूवार को एक अलग ही अंदाज़ में दिखाई दिए। राज्य विधानसभा में बजट पर चर्चा के बाद अपने वक्तव्य के दौरान उन्होंने पहले रवीन्द्र नाथ टैगोर की राष्ट्रवाद पर लिखी कविता पढ़ी और फिर अपने वक्तव्य का समापन मशहूर शायर अहमद फराज के शेर के साथ किया।

वक्तव्य के दौरान पढ़ी गई कविता और शायरी की पंक्तियों के ज़रिये सीएम गहलोत ने ‘विरोधियों’ पर भी निशाना साधने की कोशिश की। सीएम गहलोत ने जो कविता पढ़ी उसमें टैगोर विश्व के सभी धर्मों और जातियों को भारत में आने, यहां रहने और बसने के लिए आमंत्रित कर रहे हैं।
कविता की प्रमुख पंक्तियों का हिन्दी सारांश इस प्रकार है –

”भारत एक ऐसी भूमि है, जहां आर्य, गैर आर्य, द्रविड़,

शक, हुण, पठान तथा मुगल इस भूमि पर एक शरीर की तरह रह रहे हैं।
भारत भूमि के दरवाजे पश्चिम के लिए खुले हैं,
भारत भूमि पर आने वाले लोग अपने साथ अपनी संस्कृति का उपहार लेकर आते हैं।
वह यहां आकर एक-दूसरे के साथ समाहित हो जाते हैं,
फिर इस भूमि को छोड़कर कहीं नहीं जाते हैं।
भारतीय मानवता के समुद्र तट पर हे आर्यों! हे हिन्दुओं! हे मुसलमानों!
आप सभी आओ और यहां रहो,
अंग्रेजों, इसाईयों तुम भी आज यहां आओ, आओ यहां रहो।
ब्राह्मणों तुम भी यहां आओ और सभी का हाथ थामों, सभी की सोच को पवित्रा करो,
हारे हुए राजाओं, तुम भी यहां आओ ताकि तुम अपमान को भूल सको.. ”

वहीं सीएम गहलोत ने बजट पर चर्चा के बाद दिए अपने वक्तव्य में मशहूर शायर अहमद फराज का शेर भी पढ़ा। शेर इस तरह से था,

”मेरा कलम नहीं किरदार उस मुहाफिज का
जो अपने शहर को महसूर कर के नाज करे
मेरा कलम तो अमानत है मेरे लोगों की
मेरा कलम तो अदालत है मेरे जमीर की”

फराज के शेर का अर्थ इस प्रकार हैः-

मेरा कलम (चरित्र) उस रक्षक की तरह नहीं है जो अपने शहर को, दुविधा से घिरा देखकर नाज करे। मेरा कलम अमानत है मेरे प्रदेश के लोगों की, उन्हीं के लिए कार्य करती है, मेरे जमीर की अदालत में मेरी कलम हमेशा न्याय और सच्चाई के लिए तत्पर रहती है।

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