scriptचार महीने में फेल होने की संख्या हुई दोगुना से अधिक, कई जगह दिए जा रहे जीरो नंबर | automatic driving track in jaipur | Patrika News
जयपुर

चार महीने में फेल होने की संख्या हुई दोगुना से अधिक, कई जगह दिए जा रहे जीरो नंबर

-जगतपुरा स्थित परिवहन कार्यालय में ऑटोमैटिक ट्रैक पर कुछ भी नहीं ‘ऑटोमैटिक’
-लोगों का आरोप – जबरन फेल किया जा रहा, जो व्यक्ति एक-डेढ वर्ष से गाड़ी चला रहा, उसे भी कर दिया ट्रायल में फेल

जयपुरOct 03, 2021 / 08:13 pm

Jaya Gupta

rto_track.jpg
जयपुर। लाइसेंस बनाने में पारदर्शिता का हवाला देकर शुरू किया गया ऑटोमैटिक लाइसेंस ट्रायल ट्रैक लोगों की परेशानी का जरिया बनता जा रहा है। अच्छे वाहन चालकों को भी ड्राइविंग टेस्ट में फेल किया जा रहा है। इतना ही नहीं, उन्हें फेल होने का कारण भी नहीं बताया जा रहा है। ट्रैक का संचालना करने वाली निजी कम्पनी के अधिकारी सब कुछ ऑटोमैटिक होने व सेंसर से ट्रैकिंग होने का हवाला देकर लोगों को फेल करके वापस भेज रहे हैं।
राजस्थान पत्रिका संवाददाता ने ऑटोमैटिक ट्रायल ट्रैक की मौजूदा स्थिति व लाइसेंस के आंकड़ों को देखा तो हकीकत सामने आई। चार महीने पहले तक जहां ट्रैक पर पांच फीसदी लोग एक महीने में फेल हो रहे थे, अब यह संख्या बढ़कर 12-13 फीसदी तक पहुंच चुकी है। अब तो हर दिन 30-35 चालकों को फेल बताकर वापस लौटाया जा रहा है। सितम्बर माह में यह आंकड़ा अचानक से तेजी से बढ़ा है। जानकारी के अनुसार ट्रैक का संचालन करने वाली निजी कम्पनी ने अपने साथ किसी दूसरी कम्पनी को भी जोड़ लिया है। स्टाफ भी बदल दिया गया है। अब सॉफ्टवेयर में छेड़छाड़ करके लोगों को ड्राइविंग टेस्ट में जबरन फेल घोषित किया जा रहा है।
कई टेस्ट में दिए जा रहे जीरो अंक

दरअसल, ट्रैक पर चार तरह के टेस्ट लिए जा रहे हैं। इनमें हर टेस्ट के अलग अंक निर्धारित हैं। जिन लोगों को फेल बताया जा रहा है, उन्हें चार में से एक या दो टेस्ट में तो जीरो अंक ही दिए जा रहे हैं। वाहन चालकों का कहना है कि जब वे ट्रायल देने आ रहे हैं तो उन्हें बिल्कुल गाड़ी चलानी न आए, यह नहीं हो सकता। अंक कम आ सकते हैं मगर जीरो नहीं। ऐसे में लोग ट्रायल में जबरन फेल करने का आरोप भी लगा रहे हैं।
ट्रैक के बीचों-बीच बैठा रखे लड़के

ट्रैक संचालन करने वाली निजी कम्पनी की मनमर्जी का आलम देखिए, ट्रायल ट्रैक के बीचों-बीच कुछ लड़कों को बैठा रखा है। इनके पास किसी तरह की वर्दी भी नहीं है। ट्रैक पर उनका कोई काम भी नहीं है। वे न तो वाहन चालकों को गाइड करते हैं और न ही किसी और तरह की मदद। उनका काम यह देखना भी नहीं है कि चालक ने कितने नियम फॉलो किए। ऐसे में उन्हें बैठाना ही संशय के घेरे में हैं।
अधिकारियों को भी लग रही गड़बड़ मगर कहे किसे

पिछले दस दिनों से ट्रायल में फेल होने वाले लोगों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। डीटीओ, आरटीओ स्तर के अधिकारियों के पास शिकायतें भी जा रही हैं। उन्हें भी अंदेशा है कि ट्रायल में गड़बड़ की जा रही है। मगर अधिकारियों का कहना है कि उनके हाथ भी बंधे हुए हैं। ट्रैक का मैनेजमेंट सीधे मुख्यालय से हो रहा है। दूसरी तरफ फेल हो रहे लोग लगातार हंगामा कर रहे हैं। तीन-चार दिन पहले ही गुस्साए युवक ने ट्रैक पर तोड़फोड़ की थी। हंगामे को शांत करने के लिए पुलिस भी बुलानी पड़ी थी।
इन चार टेस्टों में पास होना जरूरी

– ट्रैक पर पहले टेस्ट में यातायात नियमों की पालना करते हुए 8 का अंक बनाना होता है।

– दूसरे टेस्ट में अंग्रेजी के H अक्षर की तरह गाड़ी चलानी पड़ती है।
– तीसरे टेस्ट में गाड़ी पार्क करके दिखानी होती है।

– चौथे टेस्ट में गाड़ी चढ़ाते समय पीछे नहीं खिसकनी चाहिए।

यह पूरी प्रकिया अधिकतम सात मिनट में होनी चाहिए। इसकी मॉनिटरिंग कैमरे व कम्प्यूटर के माध्यम से ऑनलाइन की जाती है। टेस्ट में पास हुआ या फेल, यह भी कम्प्यूटर ही बताता है। इस पूरी प्रकिया में परिवहन निरीक्षक का काम केवल मॉनिटरिंग का है।
पिछले चार महीने में ये बने लाइसेंस

महीना ———- स्थाई लाइसेंस के आवेदन ——- फेल किए ——– फेल प्रतिशत में

जून —————— 2574 ——————– 141 —————– 5.48

जुलाई —————- 3741 ——————- 340 —————– 9.09
अगस्त —————- 3834 ——————- 383 —————- 9.99

सितम्बर ————— 3873 ——————- 471 —————- 12.17

———————————

लोगो बोले- हम एक साल से गाड़ी चला रहे फिर फेल कैसे हो गए

-मैं पिछले डेढ साल से कार चला रहा हूं। लाइसेंस के लिए आवेदन किया था मगर कोविड के कारण बन नहीं पाया। अब स्थाई लाइसेंस बनवाने के लिए ट्रायल दिया तो यहां फेल बता दिया। जबकि मैं खुद कार चलाकर यहां तक लाया हूं।
-दिनेश वर्मा

-मैं आठ महीने से कार चला रहा हूं। मुझे फेल बता दिया, लिखित में रिजल्ट नहीं दिया गया और जब यहां फेल बताने का कारण पूछा तो कोई जबाव नहीं दिया गया। ये लोग कहते हैं कि कैमरे से मॉनिटरिंग की जा रही है। कैमरे की रेकॉर्डिंग कोई नहीं दिखा रहा है।
-अनिल कुमार

—————————-

Home / Jaipur / चार महीने में फेल होने की संख्या हुई दोगुना से अधिक, कई जगह दिए जा रहे जीरो नंबर

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो