नवग्रहों में प्रमुख ग्रह सूर्य विषुवत रेखा पर लंबवत रहता है। इसे शरद संपात भी कहा जाता है। 22 दिसंबर को दिन की अवधि सबसे कम और रात की सबसे ज्यादा होगी। सूर्य के दक्षिण गोलार्द्ध की ओर जाने से उत्तरी गोलार्द्ध में सूर्य की किरणों की तीव्रता कम हो जाने से शरद ऋतु की शुरुआत हो जाएगी। वर्तमान समय में सूर्य फिलहाल दक्षिणायन में है। अब सूर्य उत्तर से दक्षिण की ओर जा रहा है। इसके चलते सूर्य विषवत रेखा पर पहुंचेगा।
ऐसे समझें अंतर
बुधवार तक नाड़ी वलय यंत्र के उत्तरी गोलाद्ध भाग पर धूप थी। यह धूप 22 मार्च से 22 सितंबर तक रहती है। 23 सितंबर को उत्तरी व दक्षिणी गोलभाग पर धूप नहीं होगी। जबकि 24 सितंबर से अगले छह माह यानी 20 मार्च तक नाड़ी वलय यंत्र के दक्षिणी गोलाद्ध पर धूप रहेगी। इस तरह से सूर्य के गोलाद्ध परिवर्तन को नाड़ी वलय यंत्र के माध्यम से देखा जा सकता है। जंतर मंतर, बिडला तारामंडल समेत अन्य जगहों से इस खगोलीय घटनाक्रम को शंकु यंत्र तथा नाड़ी वलय यंत्र से वेधशाला में इस घटना को देखा जा सकता है। गुरुवार को शंकु की छाया पूरे दिन सीधी रेखा पर गमन करती हुई दिखाई देगी। नाड़ी वलय यंत्र के उत्तरी गोल भाग पर 22 मार्च से 22 सितंबर तक धूप रहती थी। 23 सितंबर को उत्तरी तथा दक्षिणी किसी गोल भाग पर धूप नहीं रहेगी।