scriptओडिशा की ‘बस’ को अवॉर्ड राजस्थान की बदहाली का ट्रैक रिकॉर्ड | Awarded to Odisha's 'Bus' Track record of Rajasthan's plight | Patrika News
जयपुर

ओडिशा की ‘बस’ को अवॉर्ड राजस्थान की बदहाली का ट्रैक रिकॉर्ड

ओडिशा की सार्वजनिक बस परिवहन सेवा (मो बस सर्विस) को संयुक्त राष्ट्र के प्रतिष्ठित पब्लिक सर्विस अवॉर्ड से नवाजा गया है। दूसरी ओर, राजस्थान में सार्वजनिक परिवहन सुविधा धीरे-धीरे ‘वेंटिलेटर’ पर पहुंच रही है। सार्वजनिक परिवहन के नाम पर प्रदेश में केवल राजस्थान रोडवेज की बसें चलाई जा रही हैं। रोडवेज के बेड़े में नाममात्र की बसें हैं।

जयपुरJun 25, 2022 / 07:03 pm

Anand Mani Tripathi

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ओडिशा की सार्वजनिक बस परिवहन सेवा (मो बस सर्विस) को संयुक्त राष्ट्र के प्रतिष्ठित पब्लिक सर्विस अवॉर्ड से नवाजा गया है। दूसरी ओर, राजस्थान में सार्वजनिक परिवहन सुविधा धीरे-धीरे ‘वेंटिलेटर’ पर पहुंच रही है। सार्वजनिक परिवहन के नाम पर प्रदेश में केवल राजस्थान रोडवेज की बसें चलाई जा रही हैं। रोडवेज के बेड़े में नाममात्र की बसें हैं।

राजधानी में सार्वजनिक परिवहन की यह स्थिति
रोडवेज के पास बसों का बेड़ा पहले ही कम है। जो बसें चल रही हैं, उनमें भी पैनिक बटन, सीसीटीवी कैमरा जैसी सुविधाएं नहीं हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बसों में पैनिक बटन लगे हुए आने लगे मगर परिवहन विभाग आज तक पैनिक बटन के इस्तेमाल का सिस्टम ही विकसित नहीं कर पाया। बसों में सीसीटीवी कैमरे, जीपीएस भी नहीं लगाए जा रहे हैं।

जेसीटीएसएल
जयपुर सिटी बस ट्रांसपोर्ट सर्विस लिमिटेड शहर में करीब 250 बसें चला रहा है। बसें आबादी और शहर की बसावट की तुलना में नाकाफी हैं। बसों में आधुनिक सुविधा कैमरा, ई-टिकटिंग आदि तो दूर, मूलभूत सुविधाएं भी नहीं हैं। बसें कभी आग पकड़ लेती हैं तो कभी ब्रेक फेल हो जाते हैं।

मेट्रो
राजधानी के जिस हिस्से में मेट्रो का संचालन किया जा रहा है, वहां यात्री भार न के बराबर है। वहां न तो औद्योगिक क्षेत्र है और न ही एजुकेशन हब। सरकार ने जल्दबाजी में गलत रूट का चयन किया और उसका खमियाजा शहर भुगत रहा है। मेट्रो में रोजाना केवल 24 हजार यात्री ही सफर कर रहे हैं।

लैंगिक समानता की मिसाल ‘मो बस’
मो बस सेवा ने लैंगिक समानता को बढ़ावा देते हुए बेहतर सार्वजनिक परिवहन सुविधा अपने निवासियों को उपलब्ह्र करवाई है। एक तरफ ओडिशा की मो बस को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिल रही है, वहीं भू-भाग की दृष्टि से सबसे बड़े राज्य राजस्थान में रोडवेज केवल 3200 बसें चला रहा है। यह बेड़ा भी लगातार कम होता जा रहा है। ग्रामीण मार्गों पर बसें लगभग बंद हो चुकी हैं। बेड़ा घटने के साथ इलाकों की कनेक्टिविटी भी घटती जा रही है।

मो बस, ओडिशा

भुवनेश्वर-पुरी परिवहन सेवा ने भुवनेश्वर, पुरी, कटक और खुर्दा के बीच परिवहन के लिए साल 2018 में मो बस सेवा शुरू की थी। लाइव ट्रैकिंग, रूट व ट्रेवल प्लानर और ई-टिकटिंग जैसी आधुनिक तकनीक से लैस इन बसों में शहर के 50 प्रतिशत यात्री सफर कर रहे हैं। इसके साथ ही ‘मो ई-राइड’ नामक ई-रिक्शा प्रणाली अंतिम-मील फीडर सेवा के रूप में शामिल है। मो बस में 40 प्रतिशत कंडक्टर महिलाएं हैं। वहीं इन बसों में 50 फीसदी सीटें भी महिलाओं के लिए आरक्षित हैं।

रोडवेज: बसों की कमी, तकनीक और नवाचार का अभाव

50% सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हैं।

40% कंडक्टर महिलाओं को बनाया गया है।

ओडिशा की मो बस… खास-खास

आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से लैस

जीपीआरएस भी लगा हुआ है।

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