इस तरह से जौ के दाम किसानों को बाजार में एमएसपी से 350 रुपए अधिक मिल रहे हैं। इस कारण किसान अब मंडियों में अपनी उपज न तौल कर कारोबारियों को सीधे दे रहा है। उल्लेखनीय है कि रबी सीजन की आने वाली चार फसलों में तीन उपज चना, जौ और सरसों एमएसपी से कहीं अधिक दाम पर बिक रहे हैं। सरसों के दाम तो 7000 रुपए प्रति क्विंटल के पार पहुंच चुके हैं जबकि इसकी एमएसपी 4650 रुपए है।
दरअसल, कोरोना की दूसरी लहर के चलते जौ की आपूर्ति में बाधा आने की आशंका है, जिसके चलते इसकी कीमतों में तेजी का रुख है। एनसीडीईएक्स पर 25 मार्च को जौ के वायदा भाव 1600 रुपए थे जो कि 23 अप्रेल को 1950 रुपए प्रति क्विंटल पर पहुंच गए। यही नहीं, पिछले साल 4 अक्टूबर से जौ की कीमत 42 फीसदी चढ़ चुकी है। माना जा रहा है कि कोरोना की दूसरी लहर भावों में बढ़ोतरी का बड़ा कारण है।
उधर, बियर इंडस्ट्री की तरफ से जौ की अच्छी मांग है। इस वजह से इसकी कीमतों में तेजी दिख रही है। गौरतलब है कि जौ रबी सीजन की फसल है। इसका मतलब है कि इसकी बुआई अक्टूबर-दिसंबर में होती है और मार्च-अप्रैल तक फसल काटी जाती है। भारत में सालाना करीब 17-18 लाख टन जौ का उत्पादन होता है। इसका सबसे ज्यादा उत्पादन राजस्थान, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में होता है।