इसके साथ ही देश में बनी अंग्रेजी शराब और आयातित शराब को छोड़कर समस्त आबकारी वस्तुओं पर कोई कोविड अधिभार या सरचार्ज नहीं लगेगा। इनके अलावा, आईएमएफएल और बीयर पर लगने वाले वेंड फीस को भी खत्म कर दिया जाएगा। देसी मदिरा के खुदरा मूल्यों में भी कोई परिवर्तन नहीं हुआ है। दुकानों का समय सुबह 10 से रात 8 बजे ही रखा गया है।
आबकारी नीति में हुए हालिया बदलाव में यह फैसला लिया गया है कि शराब की दुकानों का आवंटन लॉटरी सिस्टम की जगह ऑनलाइन किया जाएगा। 1 अप्रेल 2021 से लागू होने वाली इस नीति में देशी की 6665 और अंग्रेजी शराब की 1000 दुकानों को कंपोजिट कर दिया गया है। ऐसे में अब सभी दुकानें 7665 एक ही श्रेणी में आ गई हैं।
दुकानों का आवंटन ऑनलाइन नीलामी के जरिए किया जाएगा। नीलामी में शामिल होने के लिए पहले आवेदन शुल्क जमा कराकर रजिस्ट्रेशन कराना होगा। अधिकतम बोलीदाता को दुकान आवंटन की जाएगी। आवेदन शुल्क दुकान की आरक्षित राशि के आधार पर 40 से 60 हजार रुपए तक रखा गया है। यह शुल्क दुकान आवंटन नहीं होने पर भी वापस नहीं होगा।
बड़ी बात यह है कि अधिक राशि वसूली की शिकायतों को देखते हुए पोश मशीन से अब दुकानदार को बिल जारी करना होगा। शराब उत्पादन ईकाई से रिटेल दुकान तक पहुंचाने की स्काडा सिस्टम से ट्रेक एवं ट्रेस प्रणाली लागू की जाएगी। राज्य सरकार ने बड़े शराब ठेकेदारों का एकाधिकार तोड़ने के लिए वर्ष 2015 में ठेका व्यवस्था को खत्म कर अंग्रेजी शराब दुकान एक-एक और देशी की वार्ड व ग्राम पंचायत वार समूह बनाकर करना शुरू किया था। इससे इस कारोबार में बड़ी संख्या में आमजन भी आ गए थे। लेकिन अब लॉटरी व्यवस्था खत्म कर ऑनलाइन नीलामी से दुकान आवंटन किए जाने से बोली लगाने में आमजन बड़े शराब कारोबारियों का मुकाबला नहीं कर सकेंगे।