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जयपुर

विदेशी मुद्रा भंडार में एक सप्ताह में आई सबसे बड़ी गिरावट

मुंबई। देश के विदेशी मुद्रा ( foreign exchange ) भंडार में 20 मार्च को समाप्त सप्ताह में 11.98 अरब डॉलर की भारी कमी ( steep decrease ) दर्ज की गई। आरबीआई ( RBI ) द्वारा रुपए ( rupee ) को मजबूती देने के लिए डॉलर की बिक्री की वजह से विदेशी मुद्रा भंडार यानी फॉरेक्स रिजर्व ( foreign exchange reserves ) में ये कमी दर्ज की गई। यह पिछले 12 साल में एक सप्ताह में आई सबसे बड़ी गिरावट है। इससे पहले एक सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार में इतनी कमी साल 2008 में आई थी। तेजी से फैलते कोरोना वायरस ( corona virus

जयपुरMar 28, 2020 / 10:13 pm

Narendra Singh Solanki

विदेशी मुद्रा भंडार में एक सप्ताह में आई सबसे बड़ी गिरावट

विदेशी मुद्रा भंडार में एक सप्ताह में आई सबसे बड़ी गिरावट

छह मार्च को समाप्त सप्ताह में था सर्वकालिक उच्च स्तर पर
छह मार्च को समाप्त सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 5.69 अरब डॉलर बढ़कर 487.23 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर को छू गया था। समीक्षाधीन सप्ताह, यानी 20 मार्च को समाप्त सप्ताह में आई गिरावट का कारण विदेशी मुद्रा आस्तियों (एफसीए) में गिरावट दर्ज होना था, जो कुल मुद्रा भंडार का महत्वपूर्ण भाग है। समीक्षाधीन सप्ताह में विदेशी मुद्रा आस्तियां 10.256 अरब डॉलर घटकर 437.102 अरब डॉलर रह गईं।
स्वर्ण आरक्षित भंडार भी घटा
इस दौरान पिछले कुछ सप्ताह से तेजी दर्शाने वाला स्वर्ण आरक्षित भंडार समीक्षाधीन सप्ताह में 1.610 अरब डॉलर घटकर 27.856 अरब डॉलर रह गया। आलोच्य सप्ताह के दौरान अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में विशेष आहरण अधिकार चार करोड़ डॉलर घटकर 1.409 अरब डॉलर रह गया, जबकि आईएमएफ में देश की आरक्षित निधि भी 7.7 करोड़ डॉलर घटकर 3.542 अरब डॉलर रह गई।
आईएमएफ ने कहा, आर्थिक मंदी में प्रवेश कर चुकी है दुनिया
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की प्रमुख क्रिस्टलिना जॉर्जीवा ने कहा कि कोरोना संकट के चलते दुनियाभर की अर्थव्यवस्था आर्थिक मंदी में प्रवेश कर चुकी है। उनके मुताबिक इस संकट से उबरने के लिए दुनियाभर की विकसित अर्थव्यवस्थाओं को बड़ी रकम और मदद की दरकार होगी। जॉर्जीवा के मुताबिक अच्छी बात यह है कि दुनियाभर के शीर्ष नेताओं ने माना है कि इस संकट से निपटने के लिए सम्मिलित प्रयास ही कारगर साबित होंगे। उन्होंने कहा, ‘यह स्पष्ट है कि हम आर्थिक मंदी में प्रवेश कर चुके हैं। दुनियाभर की अर्थव्यवस्था एकाएक रुक गई है। उभरते बाजारों को इस संकट से निकलने में कम से कम 2.5 लाख करोड़ डॉलर की मदद की दरकार होगी।Ó आईएमएफ प्रमुख के मुताबिक अब तक 80 से ज्यादा देश इस वैश्विक संस्था से आपात मदद की गुहार लगा चुके हैं। इस वैश्विक मंदी का असर दो बातों पर निर्भर करेगा। पहला यह कि कोरोना की मार कहां तक और कितनी पड़ती है। दूसरा यह कि दुनियाभर का शीर्ष नेतृत्व इससे निपटने के क्या सम्मिलित प्रयास करता है।

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