जल संसाधन विभाग की माने तो बीसलपुर से टोंक जिले के 81 हजार 800 हैक्टेयर भूमि पर सिंचाई के लिए 256 गांंवों को पानी दिया जाता रहा है। करीब चार माह तक नहर चला कर खेतों में सिंचाई के लिए बांध से आठ टीएमसी पानी दिया जाता रहा है। जब भी बांध का जलस्तर 315 आरएल मीटर के आसपास पहुंचा तो किसानों के चेहरे पर खुशी दिखाई दी है, लेकिन जब-जब पानी की मारीमारी रही किसान बांध के पानी की बाट जोहते रहे। इस बार अब तक की स्थिति को देखते हुए कुछ ऐसा ही लग रहा है। जलदाय विभाग का कहना है कि वर्तमान जलस्तर केवल पेयजल के लिए काफी होगा, सिंचाई का पानी निकालना मुमकिन नहीं होगा। उधर, जल संसाधन विभाग का भी यही कहना है कि फिलहाल पेयजल पर जोर रहेगा। यदि पानी की आवक बढ़कर 314 आरएल मीटर के पार जाती है तो सरकार निर्णय करेगी।
17 साल में 12 बार दिया सिंचाई का पानी
जल संसाधन विभाग की माने तो बीसलपुर बांध से सिंचाई के लिए टोंक जिले के 256 गांवों को बीते 17 साल में 12 बार सिंचाई के लिए पानी दिया जा चुका है। इसमें भी पांच बार बांध पर चादर चली और अन्य बार जलस्तर 315 के आसपास पहुंचा था। जल संसाधन विभाग की माने तो बांध में 38 टीएमसी पानी की भराव क्षमता है और 24 टीएमसी से ऊपर होेने पर ही सिंचाई के लिए पानी की व्यवस्था होती रही है।
पिछले साल भी नहींं दिया जा पानी
टोंक के 256 गांवों में सिंचाई की बात करें तो पिछले साल भी बीसलपुर बांध से सिंचाई के पानी नहीं दिया जा सका था। इस बार सितंबर की बारिश के दौरान किसानों को आस जगी थी कि बेहतर बारिश के चलते बांध लबालब होगा और हजारों हैक्टेयर में पानी आएगा, ताकि अगले फसलों की बुवाई का काम शुरू करने की प्लानिंग की जाा सके। लेकिन अब यह आस अधूरी सी लग रही है।
जगी हुई है उम्मीद
जल संसाधन विभाग की माने तो बांध के भराव क्षेत्र में एक दिन की भारी बरसात भी बीसलपुर का लबालब कर सकती है। वैसे भी पूर्वी राजस्थान में 10 सितंबर तक मानसून की गतविधियां जारी रहेंगी। ऐसे में बांध में पानी आने और सिंचाई के लिए देने की उम्मीद जगी हुई है।