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जयपुर

‘मोदी‘ सरकार का अंतिम पूर्णकालिक ‘बजट‘… ‘युवाओं-मध्यवर्ग-किसानों‘ को मिलेगी ये सौगात!

सरकार यह कभी नहीं चाहेगी कि चुनावी माहौल में जनता सरकार पर महंगाई बढ़ाने की तोहमत लगाए…

जयपुरJan 30, 2018 / 04:11 pm

dinesh

Budget 2018
जयपुर। मोदी सरकार का अंतिम पूर्णकालिक बजट एक फरवरी को वित्त मंत्री अरुण जेटली पेश करने वाले हैं। अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर माना जा रहा है कि यह बजट लोक लुभावन हो सकता है। लेकिन पीएम मोदी ने साफ कर दिया है कि लोगों को मुफ्त की चीजें नहीं बल्कि ईमानदारी से होने वाला शासन पसंद है। ऐसे में कैसा होगा इस बार का बजट? आइए जानते हैं इन पहलुओं के द्वारा।
राजकोषीय घाटा
विशेषज्ञों का मानन हैं कि चुनावी वर्ष में सरकार अपना खजाना जनता के लिए न खोले, ऐसा मुमकिन नहीं। चुनावों को देखते हुए सरकार जनता को हर हालत में खुश करना चाहेगी। लेकिन वित्त मंत्री अरुण जेटली की सबसे बड़ी प्राथमिकता राजकोषीय घाटे का 3.2 फीसदी का लक्ष्य हासिल करना है। ऐसे में अरुण जेटली के सामने महंगाई और विकास दर में संतुलन बिठाना कठिन चुनौती होगा। सरकार यह कभी नहीं चाहेगी कि चुनावी माहौल में जनता सरकार पर महंगाई बढ़ाने की तोहमत लगाए। इसलिए आगामी चुनावों को देखते हुए सरकार के लिए अपनी पीठ थपथपाने का यह एक बड़ा अवसर होगा। चुनावी वर्ष को देखते हुए सरकार को विनिवेश के नए मौकों की भी तलाश रहेगी।
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युवाओं पर रहेगी खास नजर
अपने चुनावी वादों को पूरा करने के लिए युवाओं को रोजगार का मुद्दा सरकार के लिए एक चुनौती होगा। ऐसे इस बजट में सरकार के पास युवा और बेरोजगारों को खुश करने का अंतिम अवसर है जिसमें सरकार युवाओं के रोजगार को बढ़ाने के लिए कुछ बड़े ऐलान कर सकती है। इसके अन्तर्गत कुशलता की योजनाओं में रकम का आवंटन बढ़ाने का विकल्प सरकार के पास है। निजी निवेश के लिए भी सरकार कुछ प्रोत्साहन के कदम घोषित कर सकती है।
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मध्य वर्ग के लिए खुल सकता है राहत का पिटारा
हर साल बजट के दौरान मध्यम वर्ग के लोगों को बजट से काफी उम्मीदें होती है और हो भी क्यों न। बजट में सबसे ज्यादा नफा-नुकसान मध्यम वर्ग को ही उठाना पड़ता है। ऐसे इस वर्ग की अपेक्षाएं सरकार से काफी बढ़ जाती है। जीएसटी लगने के बाद अप्रत्यक्ष कर अब बजट का हिस्सा नहीं होंगे। ऐसे में मध्य वर्ग की पूरी उम्मीदें आय कर पर आकर रूक जाती है। अब आगामी चुनावों को देखते हुए सरकार इस बजट में मध्य वर्ग को आय कर की दरों में कोई बड़ी राहत दे सकती है।
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ग्रामीण खर्च में बढ़ोतरी के संकेत
गुजरात चुनाव में ग्रामीण इलाकों में बीजेपी की हार से सबक लेते हुए इस बार सरकार ग्रामीण इलाकों को भी विशेष महत्व देगी। गौरतलब है कि, पिछले बजट में सरकार ने 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने का लक्ष्य रखा है। लेकिन कृषि विकास दर में कमी इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य के पूरा होने पर सवालिया निशान लगा रही है। इसलिए जेटली के बजट में ग्रामीण इलाकों में सरकारी खर्च में बढ़ोतरी का ऐलान किया जा सकता है ताकि वहां छाए संकट को दूर किया जा सके। इसके लिए सरकार ‘मनेरगा‘ जैसी रोजगार गारंटी योजना में राशि के आवंटन को बढ़ा सकती है। सिंचाई की योजनाओं में केंद्रीय मदद को भी बढ़ा सकती है। इसी के किसानों को उपज और बाजार के दामों में अंतर की भरपाई को कम करने के सरकार कदम उठा सकती है।
शेयर बाजार
सरकार की जीएसटी और नोटबंदी की नीतियों के बाद भारतीय शेयर बाजार में कई उतार-चढ़ाव देखने को मिले हैं। सरकार की पिछली नीतियों के बाद बचत के पारंपरिक तरीकों में ब्याज दर गिरने के बाद छोटे निवेशकों ने म्यूचुअल फंड के जरिए या फिर सीधे, बड़े पैमाने पर स्टॉक मार्केट में निवेश करना शुरू किया है। ऐसे में सरकार लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स और डिविडेंड टैक्स में कुछ बदलाव कर शेयर बाजार को झटका भी दे सकती है! इस बजट को लेकर करोड़ों निवेशकों की नजरें सरकार की नीतियों पर टिकी हैं।

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