कोर्ट ने खाचरियावास व अन्य के खिलाफ 2010 में मुकदमा दर्ज को वापस लेने के अभियोजन पक्ष के प्रार्थना पत्र को मंजूर कर लिया। जिन लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था, उनमें पूर्व विधायक गोपीराम चौधरी भी शामिल थे। उनकी अनुसंधान चलने के समय ही मौत हो गई थी, इस कारण उनके खिलाफ आरोप पत्र ही पेश नहीं हुआ।
इस मामले में खाचरियावास की ओर से अधिवक्ता सत्येंद्र सिंह ने पैरवी की, वहीं अभियोजन पक्ष ने 30 अगस्त 18 को मुकदमा वापस लेने का प्रार्थना पत्र पेश किया था। इस प्रार्थना पत्र को कोर्ट ने वापस लेने की अनुमति दे दी है। 2010 में सीकर रोड पर जेडीए की टीम अभियान के तहत अवैध निर्माणों की तोडऩे पहुंची थी। तत्कालीन विधायक प्रताप सिंह व गोपीराम चौधरी सहित अन्य के नेतृत्व में भीड़ ने रास्ता अवरूद्ध कर दिया।
तीन साल की हो सकती थी सजा
खाचरियावास सहित 7 लोगों के खिलाफ आइपीसी की धारा 147,332 व 353 के तहत मुकदमा दर्ज हुआ, जिसमें से धारा 332 के तहत कोर्ट ने आरोप नहीं बनना पाया। इस मामले में तीन साल तक की सजा का प्रावधान है। अब तक 16 गवाहों में से 4 की गवाही पूरी हो चुकी है।
खाचरियावास सहित 7 लोगों के खिलाफ आइपीसी की धारा 147,332 व 353 के तहत मुकदमा दर्ज हुआ, जिसमें से धारा 332 के तहत कोर्ट ने आरोप नहीं बनना पाया। इस मामले में तीन साल तक की सजा का प्रावधान है। अब तक 16 गवाहों में से 4 की गवाही पूरी हो चुकी है।