पहला दिन— प्रतिपदा – इस दिन शैलपुत्री की पूजा जाती है। दूसरा दिन— माता ब्रह्राचारिणी की पूजा की जाती है। तीसरा दिन— इस दिन का मुख्य अनुष्ठान चन्द्रघंटा पूजा है।
नवरात्रि में माँ भगवती के नौ रूपों की उपासना की जाती है। देवी की साधना के लिए इस दौरान लोग विशिष्ट अनुष्ठान करते हैं। दरअसल नवरात्रि के ये नौ दिन मुख्यत: त्रिदेवी को समर्पित हैं। तीन देवियों अर्थात दुर्गाजी, लक्ष्मी और सरस्वतीजी के लिए अलग—अलग दिन निर्धारित किए गए हैं। पंडित दीपक दीक्षित के अनुसार चैत्र नवरात्रि के पहले तीन दिन माँ दुर्गा को समर्पित है। अगले तीन दिन माँ लक्ष्मी के लिए और अंत के तीन दिन माँ सरस्वती को समर्पित किए गए हैं। चैत्र नवरात्रि को सबसे महत्वपूर्ण नवरात्रि माना जाता है। यही कारण है कि भगवान राम ने भी चैत्र के महीने में ही दुर्गाजी की उपासना कर शक्ति प्राप्त की और रावण का वध कर विजय प्राप्त की।