भारत दुनीया का तीसरा सबसे ज्यादा मोटापे से ग्रसित लोगों का देश है। मोटापे के शुरुवाती दौर में तो हम नियमित व्यायाम करके इसको कम कर सकते है, लेकिन वर्तमान जीवन शैली व समया आभाव के कारण बहुत कम लोग ही व्यायाम की नियमितता का पालन कर पाते हैं। ऐसी स्थिती में मोटापे की सर्जरी ही एक विकल्प बचता है, जो की मोटापे से निजात दिलाता है। यह सर्जरी ऐसे लोगों के लिए है, जिनका लंबाई के अनुसार संतुलित वजन से 30 किलो वजन ज्यादा होता है। इस सर्जरी से डेढ़ से दो किलो वजन प्रत्येक सप्ताह कम किया जा सकता है। छह माह के भीतर मरीज का वजन तीस से साठ किलोग्राम तक घट जाता है।
फोर्टीज अस्पताल के सीनियर सर्जन डॉ. कपिलेश्वर विजय ने बताया कि जीवन शैली व खानपान के अलावा भी मोटापा बढऩे के दूसरे कई कारण होते हैं, जिनमें वंशानुगत व थायरॉइड की बीमारी मुख्य माना जाता है। मोटापा बढऩे के बाद 80 प्रतिशत लोग आलसी हो जाते हैं। ऐसे में उन्हे दूसरी बीमारियां घेर लेती है। जिसमें प्रमुख रूप से मधुमेह, ज्वाइंट पेन, हार्ट की समस्या, हाई ब्लड प्रेशन व हायपर टेंशन आदि शामिल हैं।
क्या है बेरियाट्रिक सर्जरी -:
डॉ. कपिलेश्वर विजय ने बताया कि वर्तमान में बेरियाट्रिक सर्जरी मीनिमली इन्वेसिव तरीके से कि जाती है। सबसे आम बेरिएट्रिक सर्जरी प्रक्रियाएं गैस्ट्रिक बाईपास, आस्तीन गैस्ट्रोक्टोमी, एडजस्टेबल गैस्ट्रिक बैंड और डुओडनल स्विच के साथ बिली ओपैंक्रेटिक डायवर्सन हैं। जिससे मरीज मात्र बीस फीसदी भोजन ही ले पाता है और उसको अपना पेट हमेशा भरा-भरा लगता है।
कम मात्रा में बनते हैं भूख जगाने वाले हार्मोन्स -:
डॉ. कपिलेश्वर विजय ने बताया कि इस बेरियाट्रीक सर्जरी के बाद आमाशय के बहुत बड़े हिस्से को काट कर अलग कर देने से भूख की इच्छा जागृत करने वाली ग्रीहलीन नामक हार्मोन का भी बनना कम हो जाता है। यह हार्मोन आमाशय में बनता है। कम खाने के दौरान व्यक्ति के शरीर में जमा चर्बी उर्जा के रूप में खर्च होती रहती है और व्यक्ति का मोटापा तेजी से कम होने लगता है।