आरबीआई ने सिबिल स्कोर से जुड़ीं सूचनाएं जुटाने के लिए चार एजेंसियों को अधिकृत किया है। सिबिल, एक्सपेरियन, एक्वीफाक्स और हाईमार्क्स ये संस्थाएं बैंक, एनबीएफसी, फिनटेक कंपनियों जैसे विभिन्न स्रोतों से कर्ज लेने, चुकाने समेत अन्य सूचनाएं जुटाती हैं। इनके आधार पर ही सिबिल स्कोर तैयार किया जाता है। संस्थाएं यह भी देखती हैं कि आपने कर्ज लेने को कितनी बार बैंकों या वित्तीय संस्थाओं से जानकारी हासिल की है। व्यावसायिक संस्था के लिए लेखा परीक्षक, कोर्ट में लंबित मामले जैसी जानकारियां भी जुटाती हैं।
सिबिल स्कोर सुधारने के लिए आप किसी तरह का लोन लेने पर उसका सही समय पर भुगतान जरूर करें। यही समय पर कर्ज का भुगतान करने पर सकारात्मकता या पॉजिटिविटी आती है। पैसे को वापस करने में किसी तरह की देरी आपके सिबिल स्कोर को खराब कर सकती है। इसके साथ ही अगर आपने किसी तरह की क्रेडिट कार्ड ले रखा है, तो उसका पैसा भी सही समय पर चुकायें। किसी तरह की देरी आपके सिबिल स्कोर पर असर डालती है। इसके साथ ही अपने लोन के पूरे भुगतान के बाद आप बैंक से इसका एनओसी लेना बिल्कुल ना भूलें। एनओसी ना लेने से भी सिबिल स्कोर पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। लोन बंद करते समय बैंक की सारे दस्तावेज को पूरा करना ना भूलें।
550 बहुत बुरा
550-650 बुरा
650-750 औसत
750 से ज्यादा अच्छा
750-900 सबसे अच्छा