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जयपुर

इस किशोरी के समर्थन में कूद पड़े 100 से अधिक देशों के बच्चे

-धरती बचाने की चिंता में हर शुक्रवार स्कूल छोडक़र प्रदर्शन

जयपुरMar 24, 2019 / 09:38 pm

pushpesh

-धरती बचाने की चिंता में हर शुक्रवार स्कूल छोडक़र प्रदर्शन

इस किशोरी के समर्थन में कूद पड़े 100 से अधिक देशों के बच्चे

जयपुर.

आपने बच्चों को खेलकूद, सिनेमा और मस्ती के लिए स्कूल बंक करने तो देखा और सुना होगा, लेकिन धरती की चिंता को लेकर पहली बार पूरी दुनिया के बच्चे स्कूलों से बाहर निकले हैं। 100 से अधिक देशों में 1700 से अधिक स्थानों पर बच्चों को विश्वव्यापी प्रदर्शन इतनी छोटी बात भी नहीं। ये एक ऐसी चिंता है, जो पर्यावरणविद और वैज्ञानिकों के दायरे से निकलकर बच्चों के जेहन में कूदी है। धीरे-धीरे ये विचार आंदोलन का रूप लेता जा रहा है। इस पूरे मिशन की सूत्रधार स्वीडन की १६ वर्षीय किशोरी ग्रेटा थनबर्ग है, जिसने धरती के बदल रहे मिजाज पर पूरी दुनिया का ध्यान खींचा है। अगस्त 2018 में ग्रेटा थनबर्ग ने स्वीडिश संसद के बाहर जलवायु के लिए एक स्कूल हड़ताल शुरू की थी, जो अब पूरे विश्व में फैल चुकी है। अब इससे पूरी दुनिया के लाखों स्कूली बच्चे जुड़ चुके हैं। इस आंदोलन को अब फ्राइडे फॉर फ्यूचर कहा जाता है। ग्रेटा ने कई देशों के राष्ट्राध्यक्षों को संदेश भेजकर इस पर गंभीर कदम उठाने की मांग की है।
हमने सिर्फ दोहन किया, खतरों को बुलाया
ग्रेटा का कहना है कि हमने कुदरत के खजाने का अपने स्वार्थ के लिए सिर्फ दोहन किया है, पर्यावरण बचाने के उपाय कुछ नहीं किए। कार्बन उत्सर्जन, समुद्रों में कचरा, जंगलों की कटाई जैसे आत्मघाती कृत्यों से जलवायु बदल रही है। हालात बदतर होते जा रहे हैं। तापमान बढऩे से बर्फ पिघल रही है, जिससे समुद्र का जलस्तर बढ़ रहा है। खेत बंजर होने लगे हैं।
और जलवायु संरक्षण का चेहरा बन गई गे्रटा
दिसंबर 2018 में पौलेंड में हुई क्लाइमेट चेंज कॉन्फ्रेंस में अपने धारदार भाषण के बाद ग्रेटा जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई का बड़ा चेहरा बनकर उभरी थी। विश्व के पर्यावरणविदों और राजनेताओं ने ट्वीट किया कि यह छोटी बच्ची ‘बड़ों’ को उनकी जिम्मेदारी का अहसास करवा रही है। ग्रेटा ने ट्विटर पर ‘अस्पेर्गेर सिंड्रोम’ के साथ पर्यावरण कार्यकर्ता के रूप में खुद की पहचान बताई है।
13 साल की अलेक्जेंड्रिया तीन माह से सर्दी, बर्फ और बारिश के बीच हर शुक्रवार दे रही है धरना
जलवायु परिवर्तन पर दुनिया का ध्यान खींचने वाली दूसरी किशोरी हैं मैनहट्टन की 13 वर्षीय अलेक्जेंड्रिया विलसनोर, जो ग्रेटा से प्रेरित होकर धरती बचाने मुहिम से जुड़ी हैं। अलेक्जेंड्रिया तीन महीने से सर्दी, बर्फ और बारिश के बीच हर शुक्रवार संयुक्त राष्ट्र संघ कार्यालय के बाहर स्कूल स्ट्राइल फॉर क्लाइमेट की तख्ती लेकर बेंच पर बैठ जाती हैं। अलेक्जेंड्रिया कहती हैं भविष्य के लिए ये दुनिया को जगाने का प्रयास कर रही हैं।
ग्रेटा की चिंता इसलिए
0.74 डिग्री तापमान बढ़ा है पूरी दुनिया का पिछले 100 सालों में
100 साल में 4 फीसदी तक कार्बन उत्सर्जन रोकने पर पूरी दुनिया में चिंता।
14 डिग्री है इस वक्त पृथ्वी का औसत तापमान
1.5 डिग्री सेल्सियस तक तापमान वृद्धि रोकने के लिए 2015 में पेरिस जलवायु समझौते में 195 देशों ने हस्ताक्षर किए। कार्बन उत्सर्जन में कमी पर सहमति जताई। बाद में अमरीकी राष्ट्रपति ने खुद को समझौते से अलग किया।
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