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जयपुर

इंडिया को ये कीमत चुकानी पड़ेगी क्लाइमेट चेंज की

क्लाइमेंट चेंज इंडियन इकोनॉमी को इस सदी के अंत तक दस फीसदी तक कम कर देगा। एक स्टडी में सामने आया है कि अगर पेरिस समझोता नहीं होता है तो लगभग सभी देश- चाहे वे अमीर हों या गरीब, गर्म हों या ठंडे सभी आर्थिक रुप से प्रभावित होंगे।

जयपुरAug 20, 2019 / 02:53 pm

Neeru Yadav

climate change

इंडिया को ये कीमत चुकानी पड़ेगी क्लाइमेट चेंज की

क्लाइमेंट चेंज इंडियन इकोनॉमी को इस सदी के अंत तक दस फीसदी तक कम कर देगा। एक स्टडी में सामने आया है कि अगर पेरिस समझोता नहीं होता है तो लगभग सभी देश- चाहे वे अमीर हों या गरीब, गर्म हों या ठंडे सभी आर्थिक रुप से प्रभावित होंगे। कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स कहते हैं कि मौजूदा रिसर्च में गर्म और गरीब राष्ट्रो पर क्लाइमेंट चेज के बोझ का अनुमान लगाया गया है। इसमें 174 देशों के 1960 के बाद से एकत्र आंकड़ों का प्रयोग किया गया है। कुछ का अनुमान यह भी है कि ठंडे देश या रिच इकोनॉमी वाले देश इससे अप्रभावित रहेंगे। यहां तक कि हाई टेम्प्रेचर वाले देशों को भी इससे लाभ मिल सकता है। नेशनल ब्यूरो ऑफ इकोनॉमिक रिसर्च की ओर से प्रकाशित अध्ययन में बताया गया है कि औसतन अमीर और ठंडे देश भी उतनी ही आमदनी खो देंगे जितनी गरीब और गर्म देश। ऐसा तब होगा जब तक इमीशन के हालात ऐसे ही सामान्य बने रहते हैं जिनमें सदी के अंत तक औसत ग्लोबल टेम्प्रेचर चार डिग्री सेल्सियस के अधिक बढ़ने का अनुमान है।
आइये आपको बताते हैं कि किसको कितना होगा नुकसान
– 2100 तक अमेरिका की जीडीपी मौजूदा से 10.5 फीसदी कम हो जाएगी
– जापान, भारत और न्यूजीलैंड भी अपनी आय का 10 फीसदी खो देंगे
– कनाडा अपनी मौजूदा आय का 13 फीसदी से अधिक खो देगा
– स्विट्जरलैंड की इकोनॉमी में 12 फीसदी की कमी की आशंका
पेरिस समझौते को बनाए रखना दोनों उत्तर अमेरिकी राष्ट्रों के घाटे को जीडीपी के दो प्रतिशत से कम करता है। इस समझौते का उद्देश्य वैश्विक औसत तापमान में वृद्धि को दो डिग्री सेल्सियस से नीचे रखना है। यदि क्लाइमेट चेंज पर ध्यान नहीं दिया गया तो आर्थिक नुकसानों के साथ इसके और भी गंभीर परिणाम सामने आएंगे। आपको बता दें कि क्लाइमेट चेंज एक ग्लोबल समस्या है। सभी देश इससे निपटने की दिशा में काम करने के लिए प्रयासरत हैं।
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