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जयपुर

तो क्या राजस्थान गौरव यात्रा में इस रणनीति से BJP कर रही है वोटबैंक मजबूत!

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जयपुरAug 10, 2018 / 03:16 am

rohit sharma

CM RAJE

CM RAJE

राजस्थान में विधानसभा चुनाव जैसे जैसे नजदीक आ रहे हैं राजनीतिक दलों की सरगर्मियां बढऩे लगी हैं। मुख्य रूप से सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी और प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस अपने तरीके से अपने पक्ष में माहौल तैयार करने में जुट गए हैं। पिछले चुनावों का इतिहास गवाह है कि मेवाड़ और वागड़ जिस दल के साथ गए उसकी सत्ता तक पहुंचने की राह आसान बन गई।
गत चुनाव में भाजपा ने वागड़ की नौ में से आठ सीटें जीतकर अपना परचम लहराया था। इसी तथ्य को ध्यान में रखकर भारतीय जनता पार्टी ने चार अगस्त को चारभुजानाथ की धरा राजसमंद से राजस्थान गौरव यात्रा का आगाज करने के बाद जनजाति बहुुल जिलों उदयपुर, बांसवाड़ा, डूंगरपुर और प्रतापगढ़ जिलों को फोकस किया और इन जिलों में अपना सफर पूरा भी कर लिया।
गौरव यात्रा के नतीजे क्या आएंगे यह तो चुनावों के नतीजे ही बताएंगे, लेकिन मुख्यमंत्री वसुंधरा की अगुवाई में इस यात्रा ने भाजपा कार्यकर्ताओं में उत्साह और जोश भर दिया है, उन्हें चुनावी रण के लिए तैयार जरूर कर दिया है। यात्रा के अब तक के सफर ने भाजपा के रणनीतिकार के चेहरों पर भी फिलहाल तो सुकून ला दिया है।
जनजाति बहुल बांसवाड़ा. डूंगरपुर जिले में राजस्थान गौरव यात्रा का 5 दिन तक का सफर रहा। यात्रा दोनों जिलों के सभी नौ विधानसभा क्षेत्रों से होकर गुजरी। चूंकि दोनों जिलों में प्रत्याशियों के भाग्य का निर्णय जनजाति मतदाता करते आए हैं, सो ध्यान भी भी इन्हीं पर ज्यादा रहा। मुख्यमंत्री ने जनजाति मतदाताओं को रिझाने में कोई कसर नहीं रखी। पाले में आदिवासी दिवस पर अवकाश की बड़ी मांग आई तो उन्होंने इसकी हाथों.हाथ घोषणा कर दी।
आदिवासियों में जनजागरण के प्रणेता गोविंद गुरु के नाम पर चालीस सामुदायिक भवनों के निर्माण का ऐलान कर दिया, विश्व आदिवासी कल्याण दिवस धूमधाम से मनाने और राज्य स्तरीय समारोह की भी घोषणा हुई। ऐसे ही कई कदमों से आदिवासियों की सहानुभूति बटोरने का भरसक प्रयास हुआ। मुख्यमंत्री ने हर सभा में इन बातों का जिक्र भी किया।
यात्रा को भाजपा ने राज्य और केन्द्र सरकार की उपलब्धियां गिनाने और भुनाने में बखूबी इस्तेमाल किया और लोगों की मांगों को ध्यान में रखकर घोषणाओं और मंजूरियों की झड़ी लगाकर भी माहौल को अपने पक्ष में बनाने की कवायद की। कुछ घोषणाओं का हाथों हाथ क्रियान्वयन भी कराया। सभाओं में जिस तरह लोगों की भीड़ जुटी और यात्रा के स्वागत में लोगों ने घंटों इंतजार के बाद भी जो गर्मजोश दिखाई उसनेे विपक्षी दलों के माथे पर सिलवटें तो जरूर डाल दी होंगी। भाजपा के लिए भी राहत की स्थिति ही बनी कि पिछले सात आठ महीने से चल रही सरकार की दौड़धूप और यात्रा में हाथोंहाथ निर्णयों ने फिजा बदली है और विरोध के स्वर कम हुए, मायूसी के बादल कुछ छंटते प्रतीत हुए। पूरी यात्रा में कांग्रेस पार्टी पर खूब प्रहार किए गए।
मुख्यमंत्री ने कांग्रेस की सरकार आने पर भामाशाह योजना बंद करने के कांग्रेस के लोगो‚ के बयान को महिलाओं की खिलाफत करने वाला बताया और ऐसे दल को वोट न देने तक की अपील की। गत चुनाव में बांसवाड़ा की पांच में से एक मात्र सीट बागीदौरा पर भाजपा व मोदी लहर का जादू नहीं चल पाया था। वहां विकास नहीं होने को लेकर कांग्रेस के विधायक को मुख्यमंत्री ने आड़े हाथों लिया और जनता को नसीहत दे डाली की दुबारा कांग्रेस विधायक को विजयी बनाने की गलती न करें।
हालांकि कांग्रेस ने यात्रा को लेकर आलोचना का कोई मौका नहीं गवाया। मुख्यमंत्री ने जनता के बीच जाकर अपनापन जताने का भी कोई मौका नहीं छोड़ा। सभा के बाद वे जनता के बीच पहुंची और प्यार- दुलार, अभिवादन के जरिये मतदाताओं के दिल जीतने का प्रयास किया। महिलाओं को लेकर सरकार के कल्याणकारी कामों का भी उन्होंने खूब गुणगान किया। बकायदा सभाओं में लाभार्थियों को मंच पर बुलाकर और सभा में मौजूृद लोगों से हाथ खड़े कराकर मुहर भी लगवाई।

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