-एसईसीएल ने प्रदेश में कोयला भेजा, लेकिन गुणवत्ता और वजन में कम निकला। इस पर राज्य उत्पादन निगम ने इसका क्लेम मांगा।
-मामला कोयला मंत्रालय की विवाद निपटारा कमेटी (अलटरनेटिव डिस्प्यूट रिसोलविंग मैनेनिज्म) के पास पहुंचा। यहां निगम के दावे को सही माना।
-इसके बाद निर्धारित मापदड और प्रक्रिया के तहत निगम ने 459 करोड़ रुपए का क्लेम सौंपा। हालांकि, कंपनी ने अब तक भी निपटारा नहीं किया, बल्कि अपने तर्क के आधार पर इस क्लेम को नकारते रहे।
-इस बीच एसईसीएल ने 25 सितम्बर 2021 तक 277.61 करोड़ रुपए बकाया भुगतान की जानकारी दी। हालांकि, इसमें से भुगतान करने का दावा किया गया। इसमें निगम का क्लेम 459 करोड़ रुपए समायोजित नहीं किया गया।
2. एसईसीएल (साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड) : एक अक्टूबर से एडवांस भुगतान। इससे पहले 277.61 करोड़ रुपए बाकाया, लेकिन 459 करोड़ा का क्लेम। अनुबंध के तहत यहां से हर दिन 7.5 रैक आनी है, अभी एक मिल रही।
(ऊर्जा विभाग और राज्य विद्युत उत्पादन निगम का दावा। प्रदेश में कोल इंडिया की इन्हीं दोनों सहायक कंपनी के जरिए ज्यादातर कोयला आ रहा है)
-कोल इंडिया की दो में से एक कंपनी को तो एडवांस में पैसा दिया हुआ है और दूसरी कंपनी से 459 करोड़ रुपए का क्लेम मांगा है। ऐसे में बकाया की अपेक्षा हमें पैसा लेना है। करोड़ों रुपए बकाया होने की जानकारी पूर्णतया गलत है। इस मामले में केन्द्रीय कोयला और ऊर्जा मंत्री से बात की है। उन्होंने हमारी बात को माना है और आश्वास्त किया है कि अब कम से कम 9 रैक भेजी जाएगी।
-बी.डी. कल्ला, ऊर्जा मंत्री