गहलोत ने अपने भाषण में केन्द्र सरकार को आड़े हाथों लिया। गहलोत ने कहा कि धरना, प्रदर्शन और ज्ञापन देना तो लोकतंत्र का सबसे खूबसूरत गहना है, लेकिन केन्द्र सरकार के हठधर्मी रवैये के कारण देश में अराजकता का माहौल हो गया है। उन्होंने कहा कि सरकारों का काम जिद करना नहीं बल्कि जनता को राहत प्रदान करना है। गहलोत ने कहा कि राजस्थान, पंजाब, छत्तीसगढ़ और पांडुचेरी के मुख्यमंत्रियों ने राष्ट्रपति से मिलने का समय मांगा था लेकिन नहीं दिया गया। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि केन्द्र सरकार किस तरह कार्य कर रही है। इस प्रकार का दंभ अच्छी बात नहीं है। उन्होंने पूर्ववर्ती वसुंधरा राजे सरकार का जिक्र करते हुए कहा कि इनके शासन में प्रदेश में 21 बार गोलियां चली, 90 लोग प्रदेश में मारे गए। लेकिन कांग्रेस सत्ता में आई तो लाठीचार्ज तक नहीं किया गया।
मुख्यमंत्री गहलोत ने राज्य सरकार की ओर से पारित किए गए तीन बिलों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि सरकार ने तीन बिल पारित कर अनुमोदन के लिए राज्यपाल के पास भिजवाए हैं। ये बिल किसानों के हित वाले हैं लेकिन राज्यपाल की ओर से उन पर विचार नहीं किया गया है। राज्यपाल भी दबाव में हैं।
मुनाफाखोरी-जमाखोरी बढ़ेगी : माकन
कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी अजय माकन ने कहा कि केन्द्र सरकार की ओर से लागू किए जा रहे तीन कृषि बिलों से देश में जमाखोरी व मुनाफाखोरी की प्रवृत्ति बढ़ेगी। नोटों वाले मित्रों के वजीर बन गए मोदी : डोटासरा
कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि केन्द्र की सरकार ने किसान नेताओं से वार्ता किए बिना ये तीन कृषि बिल लागू कर दिए। पीएम मोदी चंद उद्योगपतियों को लाभ देने के लिए ये तीन बिल लागू कर रहे हैं। यही लगता है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नोटों वाले चंद मित्रों के वजीर बन गए हैं। डोटासरा ने चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर भी सवाल उठाए। बोले-निर्वाचन आयोग ने अन्य राज्यों के चुनाव की तो घोषणा कर दी लेकिन राजस्थान के चार विधानसभा उपचुनाव का कार्यक्रम घोषित नहीं किया है। इससे चुनाव आयोग की कार्यशैली पर भी सवालिया निशान लगता है।
किसान सम्मेलन में सचिन पायलट ने केन्द्र सरकार को कोसा। उन्होंने कहा कि वर्तमान में पेट्रोल और डीजल के भाव आसमान छू रहे हैं। लेकिन केन्द्र सरकार इस पर ध्यान नहीं दे रही है। पायलट ने भी राज्य सरकार की ओर से राज्यपाल के पास भेजे गए तीन बिलों का जिक्र किया और कहा कि देखते हैं कि कब स्वीकृति मिलती है।