दरअसल, विधानसभा चुनावों के नतीजों को देखते हुए कांग्रेस और आरएलपी लोकसभा चुनाव में गठबंधन करना चाहती है। कांग्रेस की रणनीति है कि नागौर सीट आरएलपी को देकर राजस्थान की करीब 6 से 7 सीटों के समीकरण साधे जा सकते हैं। इस गठबंधन की राह में राजस्थान के कुछ नेता विरोध में आ गए हैं। यही वजह है कि आरएलपी से गठबंधन पर फैसले में देरी हो रही है। आरएलपी की बाड़मेर व नागौर सीट की मांग थी। इस बीच बाड़मेर के उम्मेदाराम बेनीवाल कांग्रेस में शामिल हो गए हैं, जिसके चलते आरएलपी का दो सीट मांगने का दांव अब कमजोर पड़ गया है। ऐसे में नागौर सीट पर कांग्रेस उनसे गठबंधन पर फैसला कर सकती है। कांग्रेस आलाकमान ने कुछ बड़े नेताओं के साथ गठबंधन कमेटी के सदस्य मोहनप्रकाश को आरएलपी प्रमुख बेनीवाल व कांग्रेस नेताओं के बीच सामांजस्य बिठाने की जिम्मेदारी दे रखी है।
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नहीं हुआ गठबंधन तो
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि गठबंधन नहीं होने की स्थिति में कई सीटों पर आरएलपी उम्मीदवार खड़े कर सकती है। इसके चलते कांग्रेस को विधानसभा की तरह नुकसान हो सकता है।