आइएफएस संजीव चतुर्वेदी ने आरटीआई के तहत 7 अगस्त 2017 को प्रधानमंत्री कार्यालय को आवेदन भेजा था। इसके माध्यम से उन्होंने 16 बिन्दूओं पर जानकारी मांगी थी। इसमें सबसे अहम 1 जून 2014 से अब तक विदेश से लाए गए काला धन की मात्रा और उसके लिए किए प्रयासों की जानकारी तथा काला धन को आम लोगों के खाते जमा कराने की जानकारी शामिल थी। इसके अलावा 1 जून 2014 से 5 अगस्त 2018 के बीच केन्द्रीय मंत्रियों की भ्रष्टाचार की प्रधानमंत्री को मिली शिकायतों के दस्तावेज लेने की जानकारी शामिल थी। इसी अवधि में केन्द्र सरकार की ओर से प्रचार-प्रसार पर खर्च राशि का ब्यौरा भी मांगा। पीएमओ ने काले धन की सूचना नहीं होने और मंत्रियों की शिकायत को स्पष्ट नहीं बताकर पीएमओ ने खारिज कर दिया था। इस पर चतुर्वेदी ने आयोग में अपील कर दी, जिसमें पीएमओ के तर्कों को खारिज कर दिया और काले धन से जुड़ी सूचना 15 दिन में चतुर्वेदी को उपलब्ध कराने के आदेश पारित किए। जबकि प्रचार-प्रसार का खर्चा पांच दिन में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को बताने के आदेश दिए।
दोषियों पर कार्रवाई की सूचना देने के निर्देश
चतुर्वेदी की ओर से 26 सितम्बर 2013 को प्रधानमंत्री को पत्र भेजा था, जिसमें उन्होंने केन्द्रीय चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्रालय से एम्स दिल्ली में भ्रष्टाचार के मामलों में कार्रवाई की जानकारी मांगी थी। आरटीआई में यह भी देने पीएमओ ने मना किया था। इस पर भी सूचना आयोग ने चतुर्वेदी को यह सूचना भी उपलब्ध कराने के निदेरश दिए हैं।