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जयपुर

कोरोना से हो रही मौतों पर डाला जा रहा पर्दा: श्मशानों में जितनी चिताएं, सरकारी आंकड़ों में मौतें उनकी आधी भी नहीं

Rajasthan में संक्रमण के तेजी से फैलाव के साथ मौतों का ग्राफ भी तेजी से बढ़ रहा है लेकिन चिकित्सा विभाग कोरोना से हो रही मौतों के सच पर फिर पर्दा डालता ही दिख रहा है।

जयपुरApr 21, 2021 / 02:10 pm

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अश्विनी भदौरिया/जयपुर। राज्य में संक्रमण के तेजी से फैलाव के साथ मौतों का ग्राफ भी तेजी से बढ़ रहा है लेकिन चिकित्सा विभाग कोरोना से हो रही मौतों के सच पर फिर पर्दा डालता ही दिख रहा है।
जयपुर हो या कोटा, भीलवाड़ा हो या उदयपुर, अजमेर हो या कोई अन्य शहर, राजस्थान पत्रिका ने पड़ताल की तो सामने आया कि विभाग अपने कागजों में जितनी मौतें लिख रहा है, मोक्षधामों में उससे तिगुने-चौगुने शवों के अन्तिम संस्कार कोरोना प्रोटोकॉल के तहत हो रहे हैं। भीलवाड़ा में तो सरकारी आंकड़ों और हकीकत में हुई मौतों में छह गुना अन्तर सामने आया।
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जयपुर: 65 मौतें, चिकित्सा विभाग ने केवल 35 बताई
चिकित्सा विभाग के अनुसार जयपुर में पिछले 10 दिन में कोरोना से 35 लोगों की मौत हुई है। जबकि पत्रिका ने मोक्षधामों की पड़ताल की तो मौतों का आंकड़ा 65 सामने आया। यानी पिछले 10 दिन में जयपुर में 65 लोगों का अन्तिम संस्कार कोरोना प्रोटोकॉल के तहत हुआ। इनमें सर्वाधिक मामले आदर्शनगर मोक्षधाम के हैं।
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इन शहरों में यह सामने आया 10 दिन का हाल
शहर —— सरकारी आंकड़ा —— हकीकत
भीलवाड़ा —— 5 —— 30
कोटा —— 30 —— 145
उदयपुर —— 36 —— 84
अजमेर —— 14 —— 22
(मौतों के आंकड़े सरकारी रेकॉर्ड में दर्ज और मोक्षधामों पर कोरोना प्रोटोकॉल के तहत हुए अन्तिम संस्कार के आधार पर)
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आंकड़ों में अन्तर के ये भी बड़े कारण
1. कई मामलों में स्वास्थ्य विभाग मौत के कारणों की जांच करवाता है। मृतक भले ही कोरोना पॉजिटिव रहा हो, मौत का कारण कोई दूसरी बीमारी होने पर अन्तिम संस्कार तो कोरोना गाइडलाइन से होता है लेकिन विभाग उसकी मौत का कारण कोरोना को नहीं मानता। ऐसे में विभाग के आंकड़ों में उक्त मौत दर्ज नहीं होती।
2. इलाज के दौरान मृत्यु हुई और रिपोर्ट बाद में आई तो कोरोना संदिग्ध मानकर अन्तिम संस्कार किया जाता है। मोक्षधाम में तो उसकी गिनती कोरोना से हुई मौत में हो जाती है लेकिन विभागीय आंकड़ों में दर्ज नहीं होती।
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मोलभाव भी: सरकार तो खानापूर्ति कर रही है, मैं विधि-विधान से कराता हूूं
– रिपोर्टर: कोरोना मरीज की आरयूएचएस में मौत हुई है। यहां अन्तिम संस्कार हो जाएगा?
– मुकेश: हां, हो जाएगा। वहां से बॉडी अपनी गाड़ी में ले आना। उनसे कहना कि अपने पैतृक मोक्षधाम पर जाकर अन्तिम संस्कार करेंगे। अस्पताल वाले तो शव को सरकारी गाड़ी में डालकर भेज देते हैं और वे अपने हिसाब से जलाते हैं।
– रिपोर्टर: खर्चा कितना हो जाएगा।
– मुकेश: लकड़ी के 5000 और गाड़ी के 500 रुपए लगेंगे। पिंडदान के लिए चार्ज अलग होगा। सामान के 5-7 हजार तक लगेंगे। शव को उठाने और रखने के लिए आदमी भी मिल जाएंगे। उन्हें भी पैसे देने होते हैं। बाकी मेरी दान-दक्षिणा है।
– रिपोर्टर: यहां कोरोना मृतकों के अन्तिम संस्कार हो तो रहे हैं ना?
– मुकेश: रोज ही करा रहा हूं। आज सुबह भी कराया है। शव आप अपनी गाड़ी में ले आना।

– रिपोर्टर: नौ अप्रेल से अब तक कितने कोरोना मृतकों के अन्तिम संस्कार हुए?
– मुकेश: रोज 4-5 केस आते हैं। जिन्हें विधि-विधान से कराना हो, वे मेरे पास आते हैं। सरकार तो खानापूर्ति कर रही है।
(आदर्शनगर मोक्षधाम में कोरोना मृतकों के अन्तिम संस्कार करा रहे युवक से बातचीत)
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जयपुर नगर निगम: मृत्यु पंजीयन 20 दिन में ढाई गुणा बढ़ा
माह —— वर्ष 2020 —— वर्ष 2021
फरवरी —— 3421 —— 3305
मार्च —— 2429 —— 3309
अप्रेल (20 तारीख तक) —— 858 —— 2054
(अप्रेल में पिछले वर्ष 858 का पंजीयन हुआ, इस बार 20 अप्रेल तक ही आंकड़ा 2054 तक पहुंच गया)
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शव घर ले जाने से संक्रमण का डर
पिछली 10 अप्रेल तक तो परिजन शव को घर ले जाकर समीपस्थ मोक्षधाम में अन्तिम संस्कार कर रहे थे लेकिन संक्रमण फिर बढ़ा तो अब शव को घर ले जाने से बच रहे हैं। मोक्षधामों पर चुनिन्दा लोग ही पीपीई किट पहनकर परिसर में जाते हैं। शेष सदस्य बाहर से ही अन्तिम विदाई देते हैं। जयपुर में प्रशासन ने भी सभी मोक्षधामों की बजाय आदर्शनगर मोक्षधाम को अन्तिम संस्कार के लिए अधिकृत कर दिया है। जो एम्बुलेंस शव लाती है, उसे फायर ब्रिगेड की गाड़ी सैनेटाइज करती है। मोक्षधाम परिसर को भी नियमित सैनेटाइज किया जाता है।
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चिकित्सा विभाग में सभी आंकड़े दर्ज किए जा रहे हैं। जैसे ही विभाग को कोविड पॉजिटिव होने की सूचना मिलती है और सोशल ऑडिटिंग पूरी होती है, उन्हें रेकॉर्ड में ले लिया जाता है।
– डॉ. रविप्रकाश शर्मा, अतिरिक्त निदेशक, चिकित्सा विभाग

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