पत्रिका ने पड़ताल की तो सामने आया कि अगस्त और सितंबर माह की शुरुआत में पिछली खरीद प्रक्रिया कॉलेज ने पूरी की थी। जिसमें दर 265 रुपए तय हुई थी। उस दर से खरीद नवंबर तक ही पूरी हो चुकी है। उसमें भी अधिकतम मात्रा तक खरीद की गई है। अब जब दिसंबर माह के दूसरे सप्ताह में नई प्रक्रिया शुरू हुई है तो बाजार में इसकी दरें कई गुना कम हो चुकी हैं, लेकिन बार बार प्रक्रिया आगे बढ़ाई जा रही है। जिससे सरकार को राजस्व का भी भारी नुकसान हो रहा है। कॉलेज में रोजाना करीब 5 हजार जांचें होती है अनुमानत: महीने में करीब एक लाख किट की जरूरत कॉलेज को होती है। इस तरह करीब 35 लाख रुपए तक के अधिक दाम तो अभी तक ही चुकाए जाने का अनुमान है।
इस तरह निकाला तोड़
जिम्मेदारों ने नया तोड़ निकाला और 18 दिसंबर से अब तक 4 बार खरीद प्रक्रिया की तिथि बढ़ाई जा चुकी है। जिससे पहले वाली दर पर ही खरीद अब तक भी जारी है।
इस तरह बढ़ती गई महंगी खरीद…
12 दिसंबर को जारी हुई निविदा
18 दिसंबर थी अंतिम तिथि
21 दिसंबर की गई अंतिम तिथि
29 दिसंबर की गई अंतिम तिथि
4 जनवरी की गई अंतिम तिथि
खरीद से जुड़े वित्तीय कर्मचारियों व अधिकारियों से पूरे मामले की जानकारी लेकर पता करवाएंगे।
डॉ. सुधीर भंडारी, प्राचार्य एवं नियंत्रक, एसएमएस मेडिकल कॉलेज