सूत्रों के अनुसार चार और जिलों में सैंपलिंग की तैयारी है। सैंपलिंग के नतीजों से समुदाय में ऐसे लोगों की संख्या का पता लगाया जा सकेगा, जिनमें कोरोना संक्रमण होने के बाद स्वत: ही उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता और एंटी बॉडी से ठीक भी हो गया। सैम्पल उन लोगों के लिए जाएंगे जिनकी पूर्व में कोई जांच भी नहीं हुई।
केन्द्रीय टीम ने जयपुर में शनिवार को 425 और रविवार को 125 लोगों के रैंडम सैंपल रामगंज, घाटगेट, संजय नगर अजमेर रोड सहित कुछ इलाकों में लिए हैं। इन सैंपल की जांच भी पुणे की लैब में ही होगी। इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च ने देश भर में यह सर्वे शुरू करवाया है।
रामगंज में पहले रेपिड टेस्ट से किया था सीरो सर्विलांस
राज्य सरकार ने पूर्व में रामगंज क्षेत्र में आईसीएमआर की ओर से स्वीकृत रेपिड टेस्ट से इस तरह का सीरो सर्विलांस किया था, जिसके नतीजों के बाद ही सरकार ने रामगंज के बारे में रणनीति तैयार की थी और यहां हाई रिस्क के लोगों पर फोकस करना शुरू कर दिया गया था। लेकिन अब केन्द्र की ओर से करवाए जा रहे सीरो सर्विलांस में सैंपल का विस्तृत परीक्षण देश की विभिन्न प्रयोगशालाओं में करवाया जा रहा है।
आगामी योजना बनाने में कारगर
सीरो सर्विलांस से जनसंख्या में संक्रमण और उसका मुकाबला करने की स्थिति का पता चलता है। सर्विलांस के नतीजे सरकार के लिए कोरोना के नियंत्रण व रोकथाम की रणनीति बनाने में कारगर होंगे। यह सर्वे अति जोखिम क्षेत्र और कंटेनमेंट जोन के लोगों के अलावा चिकित्साकर्मियों, अग्रिम पंक्ति के कोरोना वारियर्स तथा पिछले दिनों संक्रमित होकर अब रिकवर हो चुके लोगों में भी किया जाता है।
इस तरह समझें
ईएसआई अस्पताल के मेडिसिन रोग विभागाध्यक्ष डॉ.श्याम सुंदर के अनुसार कोविड की पुख्ता जांच के लिए आरटी पीसीआर टेस्ट होता है। जिसमें व्यक्ति के पॉजिटिव या नेगेटिव होने का पता चलता है। एंटीबॉडी दो तरह के होते हैं, आईजीजी और आईजीएम। आईजीएम एंटीबॉडी यह बताती है कि अभी शरीर के अंदर संक्रमण मौजूद है। जैसे ही बॉडी रिकवर कर जाती है तब आईजीजी एंटीबॉडी आती है और लंबे समय तक रहती है।
पहले रेपिड टेस्ट किया गया था, लेकिन उसकी सेंसेटिविटी कम होती है। एलाइजा कार्ड टेस्ट की सेंसेटिविटी अधिक होती है, इसमें ब्लड सैंपल लेकर एलाइजा मशीन पर जांच की जाती है। जिसमें अति जोखिम वाले व्यक्ति चिकित्साकर्मी, सुरक्षा गार्ड सहित अग्रिम पंक्ति के अन्य वॉरियर्स, सीओपीडी, डायलिसिस वाले ऐसे मरीजों के भी सैंपल लिए जाते हैं, जिनमें लक्षण नहीं आए और वे संक्रमित होकर रिकवर भी हो गए। इस जांच में आईजीजी पॉजिटिव आता है तो यह माना जाता है कि वह व्यक्ति संक्रमित होकर रिकवर हो चुका है। संकलित संख्या के आधार पर समुदाय में स्प्रेड का पता लगा लिया जाता है।
– जयपुर में दो दिन में 525 लोगों के रैंडम सैंपलिंग केन्द्र की टीम ने सीरो सर्विलांस के लिए की है। इसमें हार्ड इम्यूनिटी और एंटी बॉडी विकसित होने का पता चलता है। जिससे आगे बीमारी की रोकथाम व नियंत्रण में मदद मिलती है।
डॉ.नरोत्तम शर्मा, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी जयपुर प्रथम
– अभी चार जिलों में यह सर्वे हो रहा है। केन्द्र की टीम यह सर्वे कर रही है।
डॉ.रविप्रकाश शर्मा, अतिरिक्त निदेशक, ग्रामीण स्वास्थ्य चिकित्सा विभाग