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जयपुर

बिना विद्यार्थी और पूर्णकालिक शिक्षक के राजस्थान विश्वविद्यालय ने जारी किया कोर्स

फिजिक्स, कैमिस्ट्री, बॉटनी के संबंधित विषयों में एमएससी व पीचडी किए हुए शिक्षक तकनीक का ज्ञान दे रहे हैं।

जयपुरMay 16, 2018 / 12:57 pm

Priyanka Yadav

जयपुर . राजस्थान विश्वविद्यालय प्रशासन विद्यार्थियों को पढ़ाने में दोहरा रवैया अपना रहा है। जहां नियामक संस्थाओं का ‘डंडा’ चला वहां तो पूर्णकालिक शिक्षकों के बिना पढ़ाई नहीं होगी। ऐसे तीन पाठ्यक्रमों में इस सत्र की शुरुआत यानी जुलाई में प्रवेश ही नहीं होंगे। जबकि पूर्णकालिक शिक्षक और विद्यार्थी नहीं होने के बावजूद कई पाठ्यक्रमों को विवि प्रशासन लगातार चला रहा है। क्योंकि ये पाठ्यक्रम किसी नियामक संस्था के अधीन नहीं आते।
फाइव इयर लॉ कॉलेज, त्रिवर्षीय लॉ कॉलेज (इवनिंग) में सरकार ने शिक्षकों के पद तो स्वीकृत कर दिए, लेकिन जुलाई में ये शुरू होंगे या नहीं, इस पर अभी भी संचय बना हुआ है। क्योंकि लॉ कॉलेज में पूर्णकालिक शिक्षकों के बिना छात्रों की पढ़ाई पर बीसीआइ ने प्रतिबंध लगा दिया है। एमएड पाठ्यक्रम में इस साल जुलाई में छात्रों के प्रवेश नहीं होंगे। एमएड में भी नेशनल कौंसिल फॉर टीचर्स एजुकेशन मॉनिटरिंग करता है इसलिए विवि ने इन पाठ्यक्रमों को अघोषित रूप से बंद ही कर दिया है। जबकि स्ववित्त पोषित (एसएफएस) स्कीम में संचालित सेंटर फॉर कन्वर्जिंग टेक्नोलॉजी (सीसीटी) में पूर्णकालिक व पूरी योग्यता वाले शिक्षक नहीं हैं। पिछले सत्र में विद्यार्थी भी २० से कम थे, इसके बावजूद इस सत्र में भी सीसीटी में प्रवेश होंगे।
निकाले बीच के रास्ते

सीसीटी में छात्रों से मोटी फीस लेकर विशेषज्ञ शिक्षकों के बिना ही बीटेक, एमटेक की डिग्री दी जा रही है। फिजिक्स, कैमिस्ट्री, बॉटनी के संबंधित विषयों में एमएससी व पीचडी किए हुए शिक्षक तकनीक का ज्ञान दे रहे हैं। शिक्षकों पर सवाल नहीं उठें, इसके लिए बीच की गली निकाल कर उन्हें अलग-अलग तरह की कमेटियां बनाकर पद दे दिए गए हैं। पढ़ाने के लिए गेस्ट फैकल्टी के तौर पर बाहर से ४०-४५ शिक्षक बुलाए जा रहे हैं। उनमें से केवल १० ही इंजीनियरिंग डिग्रीधारी हैं। सूचना के अधिकार के तहत मिली सूचना के अनुसार एसएमएस अस्पताल का एक लैब टेक्नीशियन भी गेस्ट फैकल्टी में शामिल है। विवि का तर्क है कि वह सेंटर में लैब टैक्नीशियन है। इस स्ववित्त पोषित (सेल्फ फाइनेसिंग कोर्स) सेंटर में एक भी पूर्णकालिक शिक्षक नहीं है जबकि छात्रों से हर सेमेस्टर में ४५-५० हजार रुपए फीस ली जा रही है।
परिषद से मान्यता नहीं

टेक्नोलॉजी में इंजीनियरिंग की डिग्री राजस्थान विवि में दी जा रही है। यह कोर्स चलाने के लिए विवि की सिंडीकेट ने ही १२ वर्ष पहले निर्णय लिया था। इसके अलावा अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद से कोर्स की मान्यता भी नहीं है।
राजस्थान विवि के कुलपति आरके कोठारी लॉ व एमएड की मॉनिटरिंग नियामक संस्थाएं करती हैं जबकि सीसीटी के मामले में ऐसा नहीं है। यह सेल्फ फाइनेसिंग कोर्स है। कोर्स आत्मनिर्भर नहीं होगा तो खुद ही बंद हो जाएगा।
प्रवेश 80 का 70 बचे

पांच साल पहले बीटेक-एमटेक कोर्स में 80 छात्रों ने प्रवेश लिया था। इनमें से 10 छात्र बीच सत्र में डिग्री छोडक़र चले गए।

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